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कोलकाता रेप-मर्डर केस: 'पॉलीग्राफ टेस्ट में संदीप घोष ने झूठ बोला', CBI का बड़ा दावा

आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष सीबीआई ने 2 सितंबर को गिरफ्तार किया था। संघीय जांच एजेंसी ने बाद में उनके खिलाफ सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप भी जोड़े थे। पूछताछ के दौरान घोष की ‘पॉलीग्राफ’ जांच और ‘लेयर्ड वॉइस एनालिसिस’ कराया गया।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published on: September 16, 2024 15:47 IST
sandip ghosh- India TV Hindi
Image Source : PTI संदीप घोष

आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष ने अपनी ‘पॉलीग्राफ’ जांच और ‘लेयर्ड वॉइस एनालिसिस’ के दौरान महिला डॉक्टर से कथित बलात्कार और उसकी हत्या की घटना से जुड़े महत्वपूर्ण सवालों के ‘‘भ्रामक’’ जवाब दिए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। ‘लेयर्ड वॉइस एनालिसिस’ झूठ का पता लगाने वाली एक नई तरह की जांच है। इसका उपयोग आरोपी के झूठ बोलने पर उसकी प्रतिक्रिया का पता लगाने के लिए किया जाता है। हालांकि, यह झूठ की पहचान नहीं करता। यह तकनीक आवाज में तनाव और भावनात्मक संकेतों की पहचान करती है।

संदीप घोष ने जानबूझकर किया जांच में गुमराह

मामले की जांच कर रहे केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं के संबंध में 2 सितंबर को घोष को गिरफ्तार किया था। संघीय जांच एजेंसी ने बाद में उनके खिलाफ सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप भी जोड़े थे। पूछताछ के दौरान घोष की ‘पॉलीग्राफ’ जांच और ‘लेयर्ड वॉइस एनालिसिस’ कराया गया। घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों के अनुसार, नई दिल्ली में स्थित केंद्रीय न्यायालयिक विज्ञान प्रयोगशाला (CFSL) की एक रिपोर्ट के अनुसार, उनका जवाब इस मामले से जुड़े ‘‘कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर भ्रामक’’ पाया गया है। उन्होंने बताया कि ‘पॉलीग्राफ’ जांच के दौरान मिली जानकारी का मुकदमे की सुनवाई के दौरान सबूत के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता लेकिन एजेंसी इसका उपयोग कर ऐसे सबूत एकत्र कर सकती है जिनका अदालत में इस्तेमाल किया जा सकता है।

‘पॉलीग्राफ’ जांच संदिग्धों और गवाहों के बयानों में विसंगतियों का आकलन करने में मदद कर सकती है। उनकी मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रियाओं- हृदय गति, सांस लेने के तरीके, पसीने और रक्तचाप की निगरानी करके जांचकर्ता यह निर्धारित कर सकते हैं कि उनकी प्रतिक्रिया में विसंगतियां हैं या नहीं।

CBI ने क्या-क्या आरोप लगाए?

सीबीआई ने आरोप लगाया है कि घोष को 9 अगस्त को सुबह नौ बजकर 58 मिनट पर महिला डॉक्टर से कथित दुष्कर्म और उसकी हत्या के बारे में जानकारी मिल गई थी लेकिन उन्होंने पुलिस में तुरंत शिकायत दर्ज नहीं करायी। उन्होंने बताया कि घोष ने काफी देर बाद चिकित्सा अधीक्षक-उप प्राचार्य के जरिए ‘‘अस्पष्ट शिकायत’’ दर्ज कराई थी जबकि डॉक्टर को अपराह्न 12 बजकर 44 मिनट पर ही मृत घोषित कर दिया गया था।

सीबीआई ने आरोप लगाया, ‘‘उन्होंने तुरंत FIR दर्ज कराने की कोशिश नहीं की। इसके बजाय उन्होंने इसे आत्महत्या के मामले के रूप में पेश करने की कोशिश की जो पीड़िता के शरीर के निचले हिस्से पर दिखायी देने वाली बाहरी चोट को देखते हुए संभव नहीं है।’’ जांच एजेंसी ने आरोप लगाया कि घोष ने सुबह 10 बजकर तीन मिनट पर ताला पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी अभिजीत मंडल और अपराह्न एक बजकर 40 मिनट पर एक वकील से संपर्क किया था जबकि अप्राकृतिक मौत का एक मामला रात साढ़े 11 बजे दर्ज किया गया।

तुरंत अपराध स्थल पर नहीं पहुंचे पुलिस थाने के प्रभारी अधिकारी

सीबीआई ने इस मामले के संबंध में मंडल को भी गिरफ्तार किया है। अधिकारियों ने दावा किया कि मंडल को नौ अगस्त को सुबह 10 बजकर तीन मिनट पर घटना की सूचना दे दी गई थी लेकिन वह तुरंत अपराध स्थल पर नहीं पहुंचे। वह एक घंटे बाद अपराध स्थल पर पहुंचे। ‘जनरल डायरी’ की ‘प्रविष्टि 542’ में कहा गया है कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में महिला डॉक्टर सेमीनार कक्ष में ‘‘अचेत अवस्था’’ में मिली जबकि एक डॉक्टर ने पहले ही शव की जांच कर ली थी और उसे मृत पाया था। उन्होंने दावा किया कि ‘‘अस्पताल अधिकारियों और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ मिलकर की गई कथित साजिश के तहत’’ जनरल डायरी की इस प्रविष्टि में जानबूझकर गलत विवरण दिए गए। अधिकारियों ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज करने और अपराध स्थल की सुरक्षा करने में मंडल की विफलता के परिणामस्वरूप ‘‘अपराध स्थल पर उपलब्ध महत्वपूर्ण सबूत नष्ट हो गए’’।

अभिजीत मंडल ने संजय रॉय को बचाने की कोशिश की

उन्होंने कहा कि मंडल ने आरोपी संजय रॉय और अन्य लोगों को बचाने की कोशिश की जो संदिग्ध रूप से सबूतों से छेड़छाड़ करने के इरादे से अपराध स्थल पर अवैध रूप से पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि घोष ने अधीनस्थ अधिकारियों को शव को जल्द से जल्द मुर्दाघर में भेजने का कथित तौर पर निर्देश दिया। महिला डॉक्टर का शव 9 अगस्त को आर जी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के सेमिनार हॉल से बरामद किया गया था। उसके शरीर पर गंभीर चोटों के निशान थे। इस घटना के अगले दिन कोलकाता पुलिस के एक नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय को सीसीटीवी फुटेज के आधार पर गिरफ्तार किया गया था। फुटेज में उसे घटना वाले दिन तड़के चार बजकर तीन मिनट पर सेमीनार हॉल में घुसते देखा गया था। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 13 अगस्त को इस मामले की जांच कोलकाता पुलिस से सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था जिसने 14 अगस्त को मामले की जांच संभाली थी। (भाषा इनपुट्स के साथ)

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