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नौकरी पाने के लिए किसी और के शव पर जताया दावा, 11 साल बाद शुरू हुई CBI जांच

दरअसल मामला मई 2010 का है, जब 28 तारीख को एक मालगाड़ी मुंबई जा रही ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस से टकरा गई थी। इस एक्सीडेंट में 148 लोग मारे गए गए थे और 200 से ज्यादा घायल हुए थे। पीड़ित परिवारों को सरकार द्वारा नौकरी देने का वादा किया गया था।

Written by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: June 21, 2021 10:14 IST
Job Kolkata family claims dead boy to get government job compensation नौकरी पाने के लिए शव किसी और क- India TV Hindi
Image Source : PTI (REPRESENTATIONAL IMAGE) नौकरी पाने के लिए किसी और के शव पर जताया दावा, 11 साल बाद शुरू हुई CBI जांच

कोलकाता. आमतौर पर किसी बड़ी दुर्घटना के बाद संबंधित राज्य सरकारें पीड़ितों के परिजनों के लिए सहायता राशि का ऐलान करती हैं। कई बार अगर दुर्घटना ज्यादा बड़ी हो तो सरकारें पीड़ित परिवार के किसी एक सदस्य को नौकरी भी देती हैं लेकिन पश्चिम बंगाल से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने हैरान कर दिया है। दरअसल साल 2010 में एक ट्रेन दुर्घटना के बाद सरकार ने पीड़ित परिवार के सदस्यों को नौकरी देने का वादा किया था, सरकार ने अपना वादा निभाया भी लेकिन अब जांच में पाया गया कि एक परिवार ने सरकारी नौकरी पाने के लिए डेड बॉडी को क्लेम किया था। अब इस मामले की जांच की जा रही है।

दरअसल मामला मई 2010 का है, जब 28 तारीख को एक मालगाड़ी मुंबई जा रही ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस से टकरा गई थी। इस एक्सीडेंट में 148 लोग मारे गए गए थे और 200 से ज्यादा घायल हुए थे। पीड़ित परिवारों को सरकार द्वारा नौकरी देने का वादा किया गया था। हादसे में सेंट्रल कोलकाता के निवासी एक परिवार ने सदस्य अमृतत्व चौधरी के मारे जाने की भी बात कही थी और एक डेड बॉडी को उनकी बता कर क्लेम भी किया था। बाद में अमृतत्व चौधरी की बहन महुआ गुप्ता को सरकारी नौकरी मिली थी और उनके परिवार को दो लाख रुपये की सहायता राशि दी गई थी। अब इस मामले में साउथ ईस्ट रेलवे की विजिलेंस की टीम की रिपोर्ट के बाद सीबीआई ने जांच शुरू कर दी है।

28 मई 2010 को हुए इस रेल हादसे में बहुत सारे मृतकों की डेडबॉडी इस हालात में नहीं थी कि उन्हें पहचाना जा सके। इस मामले में सालों तक पहचाने जाने की प्रक्रिया चली थी। कई लोगों ने दावा किया था कि उनके परिवार के सदस्य के शव का दूसरे लोगों ने अंतिम संस्कार कर दिया। सीबीआई के अधिकारियों के अनुसार, इस मामले में फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों ने फर्जी डीएनए सैंपल्स उपलब्ध करवाए। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि यह पता लगाने के प्रयास किए जा रहे हैं कि किस व्यक्ति का शव चौधरी परिवार को सौंपा गया था। मामले को लेकर जब सहायता पाने वाले चौधरी परिवार से सवाल किया गया तो उन्होंने आरोपों को गलत बताया।

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