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एक साथ चुनाव को पूरी तरह से लागू करने में लगेगा कितना वक्त? पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कही ये बात

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कोलकाता में कहा कि 'एक राष्ट्र एक चुनाव' का प्रस्ताव चुनाव प्रक्रिया को प्रोत्साहन देगा और देश के आर्थिक विकास में मददगार साबित होगा।

Edited By: Vineet Kumar Singh @VickyOnX
Published : Dec 17, 2024 18:54 IST, Updated : Dec 17, 2024 18:54 IST
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Image Source : ANI भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद।

कोलकाता: पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को कोलकाता में कहा कि ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ संबंधी केंद्र का प्रस्ताव अगर लागू हो जाता है, तो इससे चुनाव प्रक्रिया को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने यह भी कहा कि इसके लागू होने से देश के आर्थिक विकास में भी यह मददगार साबित होगा। बता दें कि कोविंद देश में एक साथ चुनाव कराने की संभावनाओं पर विचार करने के लिए गठित हाई लेवल कमेटी के अध्यक्ष थे। इस कमेटी का गठन भारत सरकार ने सितंबर 2023 में किया था। पूर्व राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि इसे पूरी तरह लागू होने में 5 से 10 साल तक का वक्त लग सकता है।

‘लागू करने में लग सकते हैं 5-10 साल’

कोलकाता में एक आदिवासी संगठन के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कोविंद ने कहा कि मतदाता हर साल वोट मांगने वाली सियासी पार्टियों के उम्मीदवारों से मिल-मिलकर थक गए हैं और शायद अब वे उनका इतनी बार सामना नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा, ‘एक साथ चुनाव को पूरी तरह से लागू करने में 5 से 10 साल का वक्त लग सकता है। जब 2029-2030 में या उसके बाद यह प्रस्ताव पूरी तरह से लागू हो जाएगा, तो वोटर्स को हर साल एक या दूसरे चुनाव के लिए पोलिंग बूथों पर नहीं जाना पड़ेगा। इससे आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि देश GDP की वृद्धि दर मौजूदा 7.23 फीसदी से 1.5 फीसदी तक और बढ़ जाएगी।’

10 फीसदी के आंकड़े तक पहुंच जाएगी GDP!

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा,‘सोचिए कि यदि मौजूदा GDP में 1.5 अंक जोड़ दिए जाएं, तो 10 फीसदी के आंकड़े तक पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। तब हमारा देश दुनिया की टॉप 3-4 आर्थिक महाशक्तियों में शामिल हो जाएगा। अगर प्रत्याशियों को हर साल लोगों से वोट मांगना है, तो उन्हें यह बताना होगा कि विकास का वादा क्यों नहीं पूरा किया गया। हर साल होने वाले चुनावों के कारण लोग कभी-कभी वोट देने जाने से कतराने लगते हैं।’ कोविंद ने कहा कि कमेटी की 18 हजार पन्नों की रिपोर्ट सार्वजनिक मंच पर उपलब्ध है और इससे आर्थिक प्रशासन सुचारू हो जाएगा।

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