घोस्टबस्टर्स की एक टीम डिटेक्टिक्स ऑफ सुपरनैचुरल (DOS) ने कलकत्ता हाईकोर्ट से परिसर के अंदर हुई डरावनी घटनाओं को जांचने के लिए एक रात बिताने का समय मांगा है। टीम ने कहा है कि हम देखना चाहते हैं कि लोग जो कहानियां और अफवाहें सुनाते हैं क्या वह सच हैं या नहीं इसलिए हम कलकत्ता हाईकोर्ट के परिसर के कुछ कमरों में एक रात बिता कर देखना चाहते हैं। डीओएस के संस्थापक देवराज सान्याल ने बताया कि उनकी टीम ने लगभग दो महीने पहले कलकत्ता हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल उदय कुमार के कार्यालय में इस मामले में अपील की थी। सान्याल ने बताया कि इस मामले में कोर्ट द्वारा बताया गया है कि अनुमति मिलने में 3 से 4 महीने का समय लग जाएगा। अभी वह समय सीमा समाप्त नहीं हुआ है।
भूतों और अदृश्य शक्तियों का पता लगाती है यह टीम
बता दें कि डिटेक्टिव्स ऑफ सुपरनैचुरल भूतों, प्रेतवाधित स्थानों, काला जादू, परामनोविज्ञान, एलियंस, यूएफओ, फसल चक्र और अज्ञात प्राणियों से संबंधित मामलों की जांच करता है। सान्याल इस मिशन को पूरी तरह से अपनी उत्सुकता से ही चलाते हैं और अन्यथा अपने पारिवारिक व्यवसाय में लगे रहते हैं। सान्याल ने कहा कि उन्होंने अदालत से अनुरोध किया है कि हाईकोर्ट के परिसर के कुछ कमरों में भूत का पता लगाने के लिए एक रात खासकर रात 8 बजे के बाद से बिताने के लिए अनुमति मांगी है।
अच्छा होगा जो राज से पर्दा उठ जाएगा -कौशिक गुप्ता, सीनियर वकिल
कलकत्ता हाईकोर्ट के सीनियर वकिल कौशिक गुप्ता ने डीओएस (DOS) की पहल का स्वागत करते हुए कहा, "लंबे समय से, कलकत्ता हाईकोर्ट कैंपस के अंदर असामान्य गतिविधियों से संबंधित कई अफवाहें और कहानियां चल रही हैं। इसलिए, मुझे खुशी होगी। अगर डीओएस (DOS) वैज्ञानिक रूप से यह साबित कर सकता है कि ये बाहरी कारकों के प्रभाव के अलावा और कुछ नहीं हैं।"
आज तक 99% केस में भूत जैसी कोई भी चीज़ हमें नहीं मिली -सान्याल
सान्याल ने दावा किया कि उन्होंने अपनी टीम के सदस्यों के साथ पहले भी कई भूतहे घरों में रातें बिताई हैं। हम खुले दिमाग से इन जगहों पर जाते हैं। उन्होंने कहा, "हम पहले से बनाई गई धारणा के साथ काम नहीं करते हैं कि शारीरिक मृत्यु के बाद चेतना का कोई अस्तित्व नहीं हो सकता है। एक बंद दिमाग कभी भी सच्चाई को प्रकट नहीं कर सकता है। हम दूसरे वैज्ञानिक उपकरणों जैसे कंपास या मोशन सेंसर का उपयोग करते हैं, यह पहचानने के लिए कि बाहरी कोई चीज़ तो नहीं जो, उपद्रव करने वालों या यहां तक कि बिल्लियों या चूहों द्वारा शरारती गतिविधियों जैसे कारण किसी विशेष स्थान या घर में इस तरह के असामान्य माहौल की भावना को पैदा कर रहे हैं। 99 प्रतिशत मामलों में, हम इन बाहरी कारकों का पता लगाने में सक्षम हैं जो इसके लिए जिम्मेदार थे।" उन्होंने कहा कि ऐसे स्थानों पर रहने वाले लोग जहां इलेक्ट्रो-मैग्नेट एरिया बहुत ही ज्यादा एक्टिव होते हैं। लोग अक्सर इन्हें ही भूत मानकर बैठ जाते हैं।