कोलकाता: पश्चिम बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने चक्रवात राहत के तौर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की 20,000 करोड़ रूपये की मांग को ‘‘अव्यावहारिक’’ बताते हुए रविवार को कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ समीक्षा बैठक में भाग नहीं लिया ताकि दावों का विस्तृत हिसाब नहीं देना पड़े। घोष ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय ने शुक्रवार की समीक्षा बैठक बुलाई थी और उसे आमंत्रित लोगों की सूची पर फैसला करने का अधिकार है।
उन्होंने कहा, ‘‘ओडिशा ने चक्रवात की मार सही है जबकि बंगाल काफी हद तक बच गया, लेकिन वह 20,000 करोड़ रुपये मांग रही हैं। उन्होंने कलईकुंडा में प्रधानमंत्री के साथ समीक्षा बैठक में भाग नहीं लिया क्योंकि वह इस अव्यावहारिक मांग पर विस्तार से जानकारी नहीं देना चाहती थीं।’’ मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री को अलग से दिये प्रस्तावों में दीघा शहर के पुनर्निर्माण तथा सुंदरबन क्षेत्र के प्रभावित हिस्सों के पुनर्विकास के लिए 10-10 हजार करोड़ रुपये मांगे हैं।
हालांकि, बनर्जी ने चक्रवात से हुई तबाही की समीक्षा करने के लिए प्रधानमंत्री के साथ आयोजित बैठक में भाग नहीं लिया और सवाल किया कि इसमें विपक्षी भाजपा के नेता क्यों उपस्थित थे। घोष ने कहा कि विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी की बैठक में उपस्थिति की वजह से भी बनर्जी ने बैठक में भाग नहीं लिया।
उन्होंने तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘अधिकारी विधानसभा सत्र में भी भाग लेंगे। क्या बनर्जी सदन में जाना बंद कर देंगी। आपदा पर राजनीति करने के बजाय उन्हें जनता के कल्याण के लिए सभी के साथ मिलकर काम करना चाहिए।’’
बंगाल के लोगों के लिए PM के पैर छूने को हूं तैयार, राजनीतिक प्रतिशोध बंद करो: ममता बनर्जी
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कथित रूप से देर से पहुंचने और बैठक से तुरंत चले जाने के विवाद पर शनिवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बयान दिया और केंद्र सरकार पर प्रतिशोध की राजनीति करने का आरोप लगाया।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, "मेरा इस तरह अपमान मत करो, बंगाल को बदनाम मत करो। मेरे सीएस, एचएस और एफएस हर समय बैठकों में भाग ले रहे हैं, वह केंद्र के लिए काम कर रहे हैं, वह राज्य की नौकरी कब करेंगे। क्या आपको नहीं लगता कि यह राजनीतिक प्रतिशोध है।"
ममता बनर्जी ने कहा कि वह बंगाल के लिए पीएम के पैर छूने को तैयार है। उन्होंने कहा, "मुझे बुरा लगा। PMO द्वारा प्रसारित एकतरफा जानकारी को चलाकर उन्होंने मुझे अपमानित किया। जब मैं काम कर रहा थी तब वह ऐसा कर रहे थे। लोगों के लिए मैं आपके (प्रधानमंत्री) पैर छूने को तैयार हूं। यह राजनीतिक प्रतिशोध बंद करो।"
उन्होंने कहा, "मैं प्रधानमंत्री से अनुरोध करती हूं कि मुख्य सचिव (DoPT से जोड़े जा रहे) के इस आदेश को वापस लें और हमें काम करने दें। कुछ शिष्टाचार होना चाहिए। राज्य को केंद्र काम नहीं करने दे रहा है। बंगाल मेरी प्राथमिकता है और मैं इसे कभी खतरे में नहीं डालूंगी। मैं यहां के लोगों के लिए सुरक्षा गार्ड बनी रहूंगी।"
ममता बनर्जी ने कहा, "हमारा क्या कसूर था? पिछले दो वर्षों में संसदीय विपक्षी नेताओं की कोई आवश्यकता क्यों नहीं थी या गुजरात में विपक्षी नेताओं को (बैठकों में) क्यों नहीं बुलाया गया? मेरे (सीएम) शपथ लेने के बाद, राज्यपाल ने कानून और व्यवस्था के बारे में बात की और केंद्रीय टीमों को भेजा गया।"