अरविंद केजरीवाल को ईडी ने गिरफ्तार कर लिया है। आम आदमी पार्टी के नेताओं का कहना है कि अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा नहीं देंगे और जेल से ही सरकार चलेगी। वहीं अब महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता संजय निरूपम ने बयान दिया है। सोशल मीडिया साइट एक्स पर उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल को इस्तीफा दे देना चाहिए। संजय निरूपम ने लिखा, 'दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने जीवन के सबसे बड़े संकट से गुजर रहे हैं। इंसानियत के नाते उनके प्रति सहानुभूति है। कांग्रेस पार्टी ने भी उन्हें सार्वजनिक रूप से समर्थन दिया है। लेकिन वे भारतीय राजनीति में नैतिकता की जो नई परिभाषा लिख रहे हैं,उसने मुझे यह पोस्ट लिखने के लिए मजबूर कर दिया।'
केजरीवाल को दे देना चाहिए इस्तीफा
संजय निरूपम ने आगे लिखा कि एक समय था जब एक हवाला कारोबारी जैन की कथित डायरी में अडवाणी जी, माधवराव सिंधिया और कमलनाथ जैसे नेताओं के नाम आए थे और उनपर रिश्वत लेने के आरोप लगे, तब उन्होंने नैतिकता का तकाजा देकर तत्काल अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। लाल बहादुर शास्त्री ने एक ट्रेन दुर्घटना पर इस्तीफा दे दिया था। अभी हाल में जब वे इंडिया अगेंस्ट करप्शन का तमाशा पूरे देश को दिखा रहे थे तब #UPA सरकार के मंत्रियों ने भ्रष्टाचार के छिछले आरोपों पर भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। कुछ महीने पहले की बात है, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गिरफ्तारी से पहले पद छोड़कर एक नैतिक आचरण पेश किया था। हज़ारों साल पीछे जाएं तो अपने पिता के वचन के लिए राम ने राजपाट त्याग दिया था। जिसके लिए राजपाट छीना गया था, वह कभी भी राजा रामचंद्र के सिंहासन पर नहीं बैठा। बल्कि खड़ाऊ रखकर तब तक राज चलाया जब तक उनके बड़े भाई राम लौटे नहीं।
राजनीति से ऊपर उठकर भांपने की जरूरत
संजय निरूपम ने अपने पोस्ट में आगे लिखा कि भारत की ऐसी समृद्ध परंपरा रही है। दिल्ली के शराब घोटाले की सच्चाई क्या है, इसका फैसला अदालत को करना है। पर एक मुख्यमंत्री पर इस घोटाले में भ्रष्टाचार का आरोप लगा है। उनकी गिरफ्तारी हुई है। वे कस्टडी में है और मुख्यमंत्री के पद से अभी तक चिपके हुए हैं? यह कैसी नैतिकता है? उन्हें तत्काल अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए। भारत की राजनीति में महज 11 साल पुरानी पार्टी राजनीति के पूरी तरह अनैतिक हो जाने की एक मिसाल पेश कर रही है। हम अपने-अपने राजनीतिक कुनबे के हिसाब से पूरी घटना पर स्टैंड ले रहे हैं, पर खतरा यह है कि केजरीवाल जी की अपनी कुर्सी से चिपके रहने की जिद आगे जाकर भारतीय राजनीति को और खोखली कर देगी। इस खतरे को राजनीति से ऊपर उठकर भांपने की आवश्यकता है।