Sunday, December 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. पश्चिम बंगाल
  3. बंगाल चुनाव बांद हिंसा मामला: CBI ने 20 से ज्यादा आरोपियों को किया गिरफ्तार, 34 FIR दर्ज की

बंगाल चुनाव बांद हिंसा मामला: CBI ने 20 से ज्यादा आरोपियों को किया गिरफ्तार, 34 FIR दर्ज की

बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा में सीबीआई के पास जांच आने के बाद 20 से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। हाल ही में इमाम बाजार इलाके में हुई हिंसा के एक फरार आरोपी दिलीप मिर्धा को गिरफ्तार किया गया है।

Reported by: Abhay Parashar @abhayparashar
Updated : September 13, 2021 19:49 IST
बंगाल चुनाव बांद हिंसा मामला: CBI ने 20 से ज्यादा आरोपियों को किया गिरफ्तार, 34 FIR दर्ज की
Image Source : PTI FILE PHOTO बंगाल चुनाव बांद हिंसा मामला: CBI ने 20 से ज्यादा आरोपियों को किया गिरफ्तार, 34 FIR दर्ज की

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद हुई हिंसा मामले में सीबीआई के पास जांच आने के बाद सीबीआई ने अब तक 20 से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया है। 34 मामले दर्ज करके सीबीआई की जांच जारी है। सीबीआई ने फरार चल रहे एक और आरोपी को हाल ही में गिरफ्तार किया है। पुलिस स्टेशन इमामबाजार, डिस्ट्रिक्ट बीरभम में हुई हिंसा मामले में दिलीप मिर्धा नाम के एक आरोपी की गिरफ्तारी की गई है, जिसे 4 दिन के सीबीआई रिमांड पर दिया गया है।

न्यायालय सीबीआई जांच के आदेश के खिलाफ अपील पर 20 सितंबर को सुनवाई करेगा 

उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि वह बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा के दौरान बलात्कार और हत्या के जघन्य मामलों की अदालत की निगरानी में सीबीआई जांच का निर्देश देने वाले कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार की अपील पर 20 सितंबर को सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ के समक्ष पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने घटनाओं की जांच के लिए गठित मानवाधिकार समिति के सदस्यों की ओर इशारा करते हुए कहा, ''क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि इन लोगों को आंकड़े एकत्र करने के लिए नियुक्त किया गया ? क्या यह भाजपा की जांच समिति है?"

उन्होंने कहा कि बलात्कार और हत्या जैसे मामलों की जांच के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) है और अन्य घटनाओं की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) है। शीर्ष अदालत ने इस पर कहा, "अगर किसी का राजनीतिक अतीत था और अगर वह आधिकारिक पद पर आ जाता है तो क्या हम उसी तथ्य के आधार पर उसे पूर्वाग्रह से ग्रस्त मानेंगे?" सिब्बल ने कहा कि सदस्य अभी भी भाजपा से संबंधित पोस्ट कर रहे हैं और मानवाधिकार समिति के अध्यक्ष ऐसे सदस्यों की नियुक्ति कैसे कर सकते हैं? इस दौरान उन्होंने अंतरिम आदेश का अनुरोध किया। लेकिन शीर्ष अदालत ने कहा कि वह मामले में 20 सितंबर को सुनवाई करेगी।

पीठ ने कहा, ‘‘कुछ नहीं होगा। हम सोमवार (आगामी) को सुनवाई करेंगे।’’ राज्य सरकार ने अपनी विशेष अनुमति याचिका में कहा है कि उसे सीबीआई से निष्पक्ष जांच की उम्मीद नहीं है जो सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के खिलाफ मामले गढ़ने में व्यस्त है। इससे पूर्व, जनहित याचिका दायर करने वालों में से एक अधिवक्ता अनिंद्या सुंदर दास ने शीर्ष अदालत में कैविएट याचिका दायर कर आग्रह किया था कि यदि राज्य सरकार या अन्य वादी अपील दायर करते हैं तो उन्हें सुने बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाए। जनहित याचिका पर ही कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 19 अगस्त को अपना आदेश दिया था।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश बिंदल के नेतृत्व वाली उच्च न्यायालय की पांच न्यायाधीशों की पीठ ने इस साल तृणमूल कांग्रेस को सत्ता में वापसी दिलाने वाले विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद हुई हिंसा के दौरान कथित जघन्य अपराधों के सभी मामलों की जांच सीबीआई से कराने का आदेश दिया था। पीठ ने चुनाव बाद हुई हिंसा से जुड़े अन्य अपराधों की जांच एसआईटी से कराए जाने का आदेश भी दिया था।

उच्च न्यायालय ने पीठ के निर्देश पर गठित की गई राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी)समिति, किसी अन्य आयोग या प्राधिकार और राज्य सरकार को मामलों से संबंधित रिकॉर्ड आगे की जांच के लिए तत्काल सीबीआई को सौंपने का भी निर्देश दिया है। इसने कहा था की अदालत सीबीआई और एसआईटी दोनों की जांच पर नजर रखेगी। पीठ ने दोनों एजेंसियों को छह सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया था।

इस पीठ ने हालांकि पहले कहा था कि विशेष जांच दल के काम की निगरानी उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे जिसके लिए अलग से आदेश पारित किया जायेगी, लेकिन बाद में यह जिम्मेदारी कलकत्ता उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश मंजूला चेल्लूर को सौंप दी गयी। पीठ ने कहा था कि राज्य कथित हत्या के कुछ मामलों में भी प्राथमिकी दर्ज करने मे विफल रहा है ओर इससे पता चलता है कि एक निश्चित दिशा में ही जांच करने का मन बनाया गया है। ऐसी स्थिति में इन घटनाओं की जांच किसी स्वतंत्र एजेन्सी से कराने पर सभी के मन में विश्वास पैदा होगा। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की समिति ने अदालत को 13 जुलाई को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंप दी थी। 

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें पश्चिम बंगाल सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement