कोलकाता: तृणमूल कांग्रेस के नेता अभिषेक बनर्जी और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल की सरकार के मंत्री पद से इस्तीफा देने वाले कद्दावर नेता शुभेंदु अधिकारी से मुलाकात की। पार्टी ने दावा किया है कि अधिकारी से मुलाकात के बाद सभी मुद्दों को हल कर लिया गया है। माना जा रहा है कि अभिषेक बनर्जी और शुभेंदु अधिकारी के बीच बातचीत करवाने में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अहम भूमिका निभाई है। बता दें कि तृणमूल के वरिष्ठ नेता एवं पश्चिम बंगाल के परिवहन मंत्री शुभेंदु ने बीते शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
रॉय का दावा, सारे विवादों को अब सुलझा लिया गया है
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे और तृणमूल नेता अभिषेक बनर्जी ने मंगलवार को शुभेंदु अधिकारी से बात की। सौगत रॉय ने दावा किया है कि सभी विवाद सुलझा लिए गए हैं। तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने दावा किया है कि शुभेंदु अधिकारी अब तृणमूल कांग्रेस में ही रहेंगे। यदि ऐसा होता है तो यह निश्चित तौर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए राहत की बात होगी। वहीं, शुभेंदु को अपने पाले में लेने की कोशिश में जुटी बीजेपी के लिए यह एक बड़ा झटका होगा।
TMC के लिए इसलिए अहम हैं अधिकारी
अधिकारी नंदीग्राम आंदोलन का प्रमुख चेहरा थे, और यह आंदोलन पार्टी नेता ममता बनर्जी को 2011 में सत्ता में लाने का एक अहम कारक बना था। पार्टी नेतृत्व से अनबन के बाद अधिकारी ने ममता को अपना इस्तीफा फैक्स के जरिए भेजा था। अधिकारी ने अपने इस्तीफे में लिखा था,‘मैं मंत्री के रूप में अपने पद से इस्तीफा दे रहा हूं। इसे तत्काल प्रभाव से स्वीकार किए जाने के संबंध में कदम उठाए जाने चाहिए। मैं साथ ही पश्चिम बंगाल के राज्यपाल को भी इसे ईमेल कर रहा हूं और उनसे आवश्यक कदम उठाने का अनुरोध करता हूं।’
शुभेंदु के इस्तीफे के बाद रॉय ने कहा था, हम बात करेंगे
बता दें कि अधिकारी पिछले कई माह से कैबिनेट की बैठकों में शामिल नहीं हो रहे थे और सांसद सौगत रॉय और सुदीप बंदोपाध्याय को उनसे बात करने और मामले को हल करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। अधिकारी लगातार राज्य का दौरा कर रहे थे और समर्थकों की रैलियों में शामिल हो रहे थे लेकिन वह यह सब पार्टी के बैनर से दूर रह कर रहे थे,जो पार्टी के लिए आम बात नहीं है। रॉय ने इस घटनाक्रम पर कहा कि उन्हें उम्मीद है कि अधिकारी पार्टी में बने रहेंगे क्योंकि उन्होंने पार्टी की सदस्यता से इस्तीफा नहीं दिया है और न हीं विधायक पद से। रॉय ने तब कहा था,‘हम उनसे बात करेंगे।’