पश्चिम बंगाल सरकार कर्मचारी परिषद के बैनर तले राज्य सरकार के कर्मचारी बकाया महंगाई भत्ते (डीए) के भुगतान की मांग के समर्थन में 20-21 फरवरी को पेन-डाउन हड़ताल पर विचार कर रहे हैं। पश्चिम बंगाल की वित्त राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) चंद्रिमा भट्टाचार्य की ओर से वर्तमान और पेंशन धारक सेवानिवृत्त राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए अतिरिक्त तीन प्रतिशत डीए की घोषणा के ठीक एक दिन बाद इन पंक्तियों पर चर्चा शुरू हुई।
हालांकि, यह घोषणा राज्य सरकार के कर्मचारियों को संतुष्ट नहीं कर सकी, जो 27 जनवरी से कोलकाता की सड़कों पर आंदोलन कर रहे हैं। उनका कहना है कि अतिरिक्त तीन प्रतिशत डीए की घोषणा के बाद भी राज्य सरकार के कर्मचारियों का उनके वेतन से काफी अंतर है। पहले ही 13 फरवरी को राज्य सरकार ने दिन के विभिन्न कोनों में 30 मिनट की सांकेतिक पेन डाउन हड़ताल की। अब उन्होंने इस मुद्दे पर राज्य सरकार पर दबाव बनाने के लिए लगातार दो दिनों तक पूरे दिन की पेनडाउन हड़ताल करने का फैसला किया है।
'डीए दान का कोई उपहार नहीं है'
पहले ही राज्य सरकार के कर्मचारियों के संयुक्त मंच ने राज्य सचिवालय और पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग को पत्र भेजकर राज्य में त्रिस्तरीय पंचायत प्रणाली के लिए आगामी चुनावों के लिए चुनाव कर्तव्यों का बहिष्कार करने की धमकी दी थी, जब तक कि उनके डीए बकाया का भुगतान नहीं किया जाता। आंदोलनकारी कर्मचारियों में से एक भास्कर घोष ने कहा कि कलकत्ता हाई कोर्ट ने पहले ही देखा है कि डीए दान का कोई उपहार नहीं है, बल्कि राज्य सरकार के कर्मचारियों का वैध अधिकार है। फिर भी राज्य सरकार प्रक्रिया को लंबा कर रही है। ऐसी स्थिति में हमें एक बड़े रास्ते पर जाना होगा।
पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने बुधवार को तीन फीसदी अतिरिक्त डीए की घोषणा को महज छलावा बताया। उन्होंने कहा कि महंगाई भत्ते के बकाया के भुगतान से संबंधित मामला किसी भी समय भारत के सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के लिए आ जाएगा। राज्य सरकार सूंघ रही है कि परिणाम उनके लिए अनुकूल नहीं हो सकता है, इसलिए उन्होंने इस अतिरिक्त तीन प्रतिशत डीए की घोषणा की।
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