नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का किला भेदने के लिए भाजपा के दो वरिष्ठ नेता, इन दिनों अचूक रणनीति बनाने की कोशिशों में जुटे हैं। लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा वीडियो काफ्रेंसिंग मीटिंग करने वाले भाजपा नेताओं में इनका नाम है। हम बात कर रहे हैं भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश की। 2021 के विधानसभा चुनाव में ममता बनर्जी का मुकाबला करने के लिए दोनों नेता पूरी व्यूह रचना बनाने में जुटे हैं। बूथ लेवल पर टीम खड़ी करने से लेकर ममता बनर्जी सरकार को घेरने के लिए मुद्दों की तलाश भी यही नेता तय कर रहे हैं। कैलाश विजयवर्गीय और शिव प्रकाश जो लाइन तय करते हैं, पश्चिम बंगाल की प्रदेश इकाई उस पर चल पड़ती है।
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "जिस तरह से 2019 के लोकसभा चुनाव में कैलाश विजयवर्गीय ने फ्रंट पर तो शिव प्रकाश ने परदे के पीछे रहकर काम करते हुए भाजपा को पश्चिम बंगाल में 18 सीटें जिताने में मदद की, उससे पार्टी को भरोसा है कि 2021 के विधानसभा चुनाव के नतीजे भी चौंकाने वाले होंगे। विजयवर्गीय जहां बंगाल के कार्यकतार्ओं में सत्ताधारी टीएमसी के खिलाफ लड़ने का माद्दा पैदा करते हैं तो शिव प्रकाश संगठन की संरचना को मजबूत बनाने में योगदान देते हैं।"
बीते नौ जून को गृहमंत्री अमित शाह की पश्चिम बंगाल जनसंवाद रैली को सफल बनाने के लिए कैलाश विजयवर्गीय और शिव प्रकाश ने काफी मेहनत की। अधिक से अधिक लोगों को इस वर्चुअल रैली से जोड़ने की उन्होंने रणनीति बनाई। राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश की मेहनत का नतीजा रहा कि 11 देशों में कुल 21 स्थानों पर बंगाल के निवासी लोगों ने अमित शाह का भाषण सुना।
राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश की बात करें तो वह संघ के प्रचारक रहे हैं। पश्चिम बंगाल के साथ उत्तराखंड में भी भाजपा के संगठन की निगरानी करते हैं। हालांकि, अगले साल विधानसभा चुनाव होने के कारण उनके एजेंडे पर फिलहाल पश्चिम बंगाल है। भाजपा में आने से पहले आरएसएस के प्रांत प्रचारक के तौर पर लंबे समय से काम कर चुके शिव प्रकाश को उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में राजनीतिक और सामाजिक मसलों की गहरी समझ है। इससे पूर्व के दो लोकसभा चुनाव में शिव प्रकाश के अनुभव का भाजपा उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में लाभ भी उठा चुकी है।
गृहमंत्री अमित शाह उनकी कार्यशैली को पसंद करते हैं। सूत्रों का कहना है कि अमित शाह ने राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद शिव प्रकाश को भाजपा में भेजने के लिए संघ से अनुरोध किया था। तब, संघ की भोपाल में हुई बैठक के बाद संघ ने अपने प्रांत प्रचारक शिव प्रकाश को भाजपा में जाने की हरी झंडी दी थी। अमित शाह ने 2014 में उन्हें राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री की जिम्मेदारी दी थी। तब से वह इस भूमिका के साथ उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल में संगठन का काम देख रहे हैं। उत्तर प्रदेश का भी फीडबैक वह शीर्ष नेतृत्व को देते रहते हैं।
उनके साथ काम कर चुके एक भाजपा नेता ने कहा, "राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाशजी छोटे-छोटे कार्यकतार्ओं के साथ भी संवाद पर जोर देकर पार्टी की जनता में पकड़ का फीडबैक लेने में यकीन रखते हैं। वह जिलाध्यक्षों से लेकर मंडल अध्यक्षों तक का हालचाल लेते रहते हैं। भाजपा में भी वह पुरानी प्रचारक शैली में काम करते हैं। अच्छे कार्यकतार्ओं की पहचानने की कला उनमें है।"
भाजपा सूत्रों का कहना है कि पश्चिम बंगाल में 2019 के लोकसभा चुनाव में सफलता मिलने के बाद से पार्टी को लगने लगा है कि मिशन 2021 असंभव नहीं है। जिस तरह से तीन दशक से भी अधिक समय से सरकार चला रहे लेफ्ट को 2011 में ममता बनर्जी से पश्चिम बंगाल की सत्ता से बाहर कर दिया था, उसी तरह से भाजपा को उम्मीद है कि वह 2021 में ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटा देगी।
राज्य में तृणमूल कांग्रेस के बाद भाजपा दूसरे नंबर की पार्टी बन चुकी है। अब दोनों नेताओं का निशाना पार्टी को सत्ता दिलाना है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि अगर 2021 में पश्चिम बंगाल में भाजपा की जीत हुई तो प्रभारी के तौर पर काम करने वाले राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश का पार्टी और राष्ट्रीय राजनीति में कद बढ़ना तय है।