जमालपुर: पश्चिम बंगाल के भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष दिलीप घोष को शनिवार को पूर्व बर्धमान जिले में काले झंडे दिखाए गए और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों द्वारा कथित रूप से उनके काफिले पर पथराव किया गया। हालांकि, तृणमूल कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज किया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह घटना उस समय हुई, जब घोष किसानों से नए कृषि कानूनों के बारे में बातचीत के लिए जमालपुर क्षेत्र पहुंचे थे। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि दोनों दलों के समर्थक आपस में भिड़ गए, जिसके चलते हालात को काबू करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
‘तृणमूल के कार्यकर्ताओं ने किया पथराव’
इस बारे में बताते हुए दिलीप घोष ने कहा, 'जैसे ही मेरा काफिला जमालपुर पहुंचा, मुझे काले झंडे दिखाए गए और तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने मेरे काफिले पर पथराव किया, जो अपनी पार्टी के झंडे लिए हुए थे। तृणमूल कांग्रेस लोकतंत्र में भरोसा नहीं करती और यह इसका प्रतिबिंब भर है।' उन्होंने कहा, 'मैं ऐसी घटनाओं का आदि हूं लेकिन राज्य की जनता इन्हें माकूल जवाब देगी।' वहीं, तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय नेताओं ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि किसानों ने 'कृषि कानूनों का विरोध किया, जो उनके हितों के खिलाफ है।'
‘पुलिस भी बन गई तृण्मूल का हिस्सा’
इससे पहले दिलीप घोष ने कहा था कि एक वीडियो में गुरुवार को राज्य सचिवालय तक निकाले गए पार्टी के मार्च के दौरान एक पुलिसकर्मी को रैली करने वालों पर देसी बम फेंकते हुए देखा गया है। उन्होंने कहा कि इसने यह साबित कर दिया कि पश्चिम बंगाल में पुलिस जनता का विश्वास खो रहे सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का हिस्सा बन गई है। घोष ने दावा किया कि मार्च के दौरान पुलिस हमले में नेताओं सहित पार्टी के सैकड़ों कार्यकर्ता घायल हो गए और कई अब भी अस्पतालों में इलाज कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हर कोई देख सकता है कि कैसे पुलिसकर्मी हावड़ा में एक छत के ऊपर से एक देसी बम को लोगों पर फेंक रहा है।