कोलकाता: पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हुए चुनाव के बाद हिंसा के मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी। हाईकोर्ट ने राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा के दौरान बलात्कार और हत्या जैसे सभी जघन्य मामलों में एनएचआरसी की समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने के बाद अदालत की निगरानी में सीबीआई जांच का निर्देश दिया था।
राज्य सरकार ने अपनी विशेष अनुमति याचिका में आरोप लगाया है कि उसे केंद्रीय एजेंसी से निष्पक्ष और न्यायसंगत जांच की उम्मीद नहीं है जो सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज करने में व्यस्त है। इससे पहले वकील अनिंद्य सुंदर दास ने शीर्ष अदालत में एक कैविएट याचिका दायर कर आग्रह किया था कि यदि राज्य या अन्य वादी अपील करते हैं तो उनकी सुनवाई के बिना कोई आदेश पारित नहीं किया जाना चाहिए।
अनिंद्य सुंदर दास उन जनहित याचिकाकर्ताओं में से एक थे जिनकी याचिका पर 19 अगस्त को हाईकोर्ट का फैसला आया था। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की अध्यक्षता वाली हाईकोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने इस साल विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद पश्चिम बंगाल में जघन्य अपराधों के सभी कथित मामलों में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की जांच का आदेश दिया था।
हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की समिति, और किसी अन्य आयोग या प्राधिकरण और राज्य को जांच को आगे बढ़ाने के लिए मामलों के रिकॉर्ड तुरंत सीबीआई को सौंपने का निर्देश दिया था। पीठ ने कहा था कि वह सीबीआई और विशेष जांच टीम (एसआईटी) दोनों की जांच की निगरानी करेगी और दोनों एजेंसियों को छह सप्ताह के भीतर अदालत को स्थिति रिपोर्ट सौंपने को कहा था।
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