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बांग्लार बारी योजना: भ्रष्टाचार और पक्षपात रोकने के लिए ममता सरकार का फैसला, जारी होगा टोल फ्री नंबर

भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दी जाने वाली राशि रोक दी थी। इसके बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने बांग्लार बारी योजना की शुरुआत की।

Edited By: Shakti Singh
Published : Dec 30, 2024 14:43 IST, Updated : Dec 30, 2024 14:43 IST
Banglar Bari Scheme beneficiary
Image Source : SUDAWB बांग्लार बारी योजना का लाभार्थी

बांग्लार बारी योजना में भ्रष्टाचार और पक्षपात रोकने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार टोल फ्री नंबर जारी करने का फैसला किया है। इस नंबर पर कॉल कर बांग्लार बारी योजना से जुड़ी शिकायत की जा सकेगी। सूत्रों के अनुसार टोल फ्री नंबर 18008899451  होगा। इस योजना के तहत, प्रत्येक पात्र परिवार को घर बनाने के लिए ₹1.20 लाख मिलेंगे। हालांकि, जंगलमहल और दार्जिलिंग हिल्स के कुछ इलाकों में लाभार्थियों को 1.30 लाख रुपये मिलेंगे। 

केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत दी जाने वाली राशि रोक दी थी। इसके बाद ममता बनर्जी ने 17 दिसंबर को यह योजना शुरू की। इस योजना के तहत पहली किस्त 60,000 रुपये होगी।

हर घर की निगरानी करेंगे अधिकारी

पंचायत विभाग ने निर्देश दिए हैं कि ब्लॉक स्तर के अधिकारी 'बांग्लार बारी' योजना के तहत घरों की निगरानी करेंगे। इसके अलावा, ब्लॉक स्तर के अधिकारी योजना के तहत प्रत्येक घर का भौतिक निरीक्षण करने जाएंगे। पहले चरण में 12 लाख में से 8 लाख से अधिक लाभार्थियों को राज्य सरकार से पहली किस्त मिल चुकी है। बचे हुए लोगों को भी आने वाले सप्ताह तक किस्त मिल जाएगी। 2025 में 18 लाख और लाभार्थियों को 'बांग्लार बारी' योजना का लाभ दिया जाएगा। इस योजना पर कुल खर्च करीब 14,773 करोड़ रुपये आएगा और सरकार ने 28 लाख पात्र लाभार्थियों की सूची तैयार की है।

केंद्र सरकार ने क्यों रोकी राशि

केंद्र सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 60 प्रतिशत धनराशि मुहैया कराती थी, जबकि राज्य सरकार 40 प्रतिशत धनराशि देती थी। वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के बाद 2022 में केंद्र सरकार ने राज्य को धनराशि जारी करना बंद कर दिया। आरोप है कि यह योजना केवल सत्ताधारी पार्टी के करीबी लोगों को ही दी जा रही है। इस साल की शुरुआत में पुरुलिया, हुगली, दक्षिण 24 परगना और बीरभूम जिलों में विरोध प्रदर्शन हुए थे। इन प्रदर्शनों में शामिल लोगों ने आरोप लगाया था कि लाभार्थियों की सूची में सत्ताधारी पार्टी के करीबी लोगों के नाम हैं, जबकि जिन लोगों को घर की जरूरत है, उनके नाम सूची से बाहर कर दिए गए।

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