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बंगाल विधानसभा में एंटी रेप विधेयक पेश, BJP ने भी किया ममता सरकार का सपोर्ट, दोषियों को फांसी तक की सजा

ममता बनर्जी की सरकार ने आज विधानसभा में एंटी रेप बिल पेश किया। रेप और मर्डर पर मृत्युदंड का प्रावधान है। विपक्षी पार्टी बीजेपी ने भी इस बिल का समर्थन किया है।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published : Sep 03, 2024 12:12 IST, Updated : Sep 03, 2024 13:32 IST
पश्चिम बंगाल विधानसभा में बलात्कार रोधी विधेयक पेश- India TV Hindi
Image Source : PTI पश्चिम बंगाल विधानसभा में बलात्कार रोधी विधेयक पेश

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार ने मंगलवार को विधानसभा में एंटी रेप बिल पेश किया। विधेयक के मसौदे में बलात्कार पीड़िता की मौत होने या उसके अचेत अवस्था में चले जाने की सूरत में ऐसे दोषियों के लिए मृत्युदंड के प्रावधान का प्रस्ताव किया गया है। विपक्षी पार्टी बीजेपी ने भी ममता सरकार के इस बिल का समर्थन किया है। इसके अतिरिक्त, मसौदे में प्रस्ताव किया गया है कि रेप और गैंगरेप के दोषी व्यक्तियों को आजीवन कारावास की सजा दी जाए। ‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) विधेयक 2024’ शीर्षक वाले इस प्रस्तावित कानून का उद्देश्य रेप और यौन अपराधों से संबंधित नए प्रावधानों को शामिल करके महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा मजबूत करना है। ममता बनर्जी ने सदन में बोलते हुए इस बिल को ऐतिहासिक बताया है।

विधेयक सभी उम्र की पीड़िता पर लागू  

पिछले महीने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की एक महिला डॉक्टर के साथ रेप के बाद हत्या कर दी गई थी। इस शर्मनाक घटना के खिलाफ देशव्यापी विरोध प्रदर्शन के बीच प्रस्तावित इस विधेयक को राज्य के कानून मंत्री मलय घटक पेश किया। अब इस बिल पर चर्चा होगी। भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत प्रासंगिक प्रावधान में संशोधन की मांग करने वाला विधेयक सभी उम्र के पीड़ित पर लागू होगा। यदि इस विधेयक को पारित किया जाता है, तो रेप और हत्या के मामलों में दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई जाएगी। इसका अर्थ है कि उन्हें अपना पूरा जीवन जेल में बिताना होगा महज कुछ वर्षों के बाद छोड़ा नहीं जाएगा। इसमें आर्थिक दंड के प्रावधान भी होंगे।

जांच की समय सीमा घटाने का प्रस्ताव

विधेयक में रेप से संबंधित जांच पूरी करने की समय सीमा को दो महीने से घटाकर 21 दिन करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा ऐसे मामलों में आरोप पत्र तैयार होने के एक महीने के भीतर फैसला सुनाने का वादा भी किया गया है। विधेयक में ऐसे मामलों में अदालती कार्यवाही से संबंधित कोई जानकारी प्रकाशित करता है या पीड़िता की पहचान उजागर करता है, तो उसे तीन से पांच साल कैद की सजा हो सकती है।

हालांकि, कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि विधानसभा में विधेयक को पारित कर देना ही पर्याप्त नहीं होगा। इसमें इस संबंध में केंद्रीय कानूनों के कुछ प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव है, इसलिए इसे राष्ट्रपति की मंजूरी की जरूरत होगी। वहीं, बंगाल सरकार के इस फैसले का विरोध भी हो रहा है। विपक्षी दल और कानूनी विशेषज्ञ कह रहे हैं कि ऐसे मामलों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कानून में सख्त प्रावधान हैं।

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