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अलपान बंदोपाध्याय को लग सकता है बड़ा झटका, सेवानिवृत्ति लाभों से हो सकते हैं वंचित

केंद्र सरकार और ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार में बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को लेकर जारी खींचतान के बीच केंद्र सरकार ने उनके खिलाफ “बड़ी दंडात्मक कार्यवाही” शुरू की है और उन्हें आंशिक या पूर्ण रूप से अपने सेवानिवृत्ति बाद के लाभों से वंचित होना पड़ सकता है।

Written by: Bhasha
Published : June 21, 2021 21:47 IST
अलपान बंदोपाध्याय को लग सकता है बड़ा झटका, सेवानिवृत्ति लाभों से हो सकते हैं वंचित
Image Source : ANI अलपान बंदोपाध्याय को लग सकता है बड़ा झटका, सेवानिवृत्ति लाभों से हो सकते हैं वंचित

नई दिल्ली: केंद्र सरकार और ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार में बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को लेकर जारी खींचतान के बीच केंद्र सरकार ने उनके खिलाफ “बड़ी दंडात्मक कार्यवाही” शुरू की है और उन्हें आंशिक या पूर्ण रूप से अपने सेवानिवृत्ति बाद के लाभों से वंचित होना पड़ सकता है। अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सलाहकार की भूमिका निभा रहे बंदोपाध्याय से कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय (डीओपीटी) द्वारा आरोपों का उल्लेख करते हुए भेजे गए “ज्ञापन” का 30 दिनों के अंदर जवाब भेजने को कहा गया है। 

अधिकारियों ने कहा कि पूर्व मुख्य सचिव को बड़ी दंडात्मक कार्यवाही की चेतावनी दी गई है, जिसके तहत केंद्र सरकार पेंशन या ग्रैच्यूटी अथवा दोनों पूरी तरह से या उसका कुछ हिस्सा रोक सकती है। बंदोपाध्याय को 16 जून को भेजे गए ज्ञापन में उन्हें सूचित किया गया है कि अखिल भारतीय सेवाएं (अनुशासन व अपील) नियम, 1969 के नियम आठ और अखिल भारतीय सेवाएं (मृत्यु सह सेवानिवृत्ति लाभ) नियम, 1958 की धारा छह के तहत केंद्र उनके खिलाफ बड़ी दंडात्मक कार्यवाही करने का प्रस्ताव करता है। 

इसमें कहा गया, “कदाचार या दुर्व्यवहार के आरोप का सार, जिनके संदर्भ में जांच होनी प्रस्तावित है, आरोप के अनुच्छेद के बयान में निर्धारित किया गया है।” इसमें कहा गया है कि पश्चिम बंगाल कैडर के 1987 बैच के (सेवानिवृत्त) आईएएस अधिकारी बंदोपाध्याय को “निर्देशित किया जाता है कि वह इस ज्ञापन के प्राप्त होने के 30 दिनों के अंदर अपने बचाव में लिखित बयान दें और यह भी बताएं कि क्या वह व्यक्तिगत तौर पर पेश होकर अपना पक्ष रखने के इच्छुक हैं।” 

एक अधिकारी ने कहा, “प्रासंगिक सेवा नियमों के मुताबिक बंदोपाध्याय के खिलाफ बड़ी दंडात्मक कार्यवाही शुरू की गई है।” नियम केंद्र सरकार को “पेंशन या ग्रैच्यूटी, अथवा दोनों पूर्ण या आंशिक रूप से तथा स्थायी तौर पर या किसी खास अवधि के लिए” रोकने की इजाजत देते हैं। इतना ही नहीं अगर पेंशनभोगी किसी विभागीय या न्यायिक जांच में सेवाकाल या सेवानिवृत्ति के बाद पुन: नियुक्ति के दौरान गंभीर कदाचार का दोषी पाया जाता है तो यह नियम केंद्र सरकार को “पेंशन या ग्रैच्यूटी से पूरे या केंद्र अथवा राज्य सरकार को हुए आर्थिक नुकसान के किसी हिस्से की भरपाई की वसूली करने की भी इजाजत देता है।” 

बंदोपाध्याय 31 मई को सेवानिवृत्त हो रहे थे लेकिन इससे कुछ दिनों पहले ही उन्हें तीन महीने का सेवा विस्तार दिया गया था और केंद्र ने 28 मई को पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्य सचिव को नयी दिल्ली स्थिति डीओपीटी में रिपोर्ट करने के निर्देश के साथ राज्य सरकार से उन्हें तुरंत कार्यमुक्त करने को कहा था। डीओपीटी के 28 मई के आदेश पर उनके प्रतिक्रिया नहीं करने के बाद मंत्रालय ने उन्हें फिर से इस संबंध में पत्र भेजा। केंद्र और राज्य में जारी गतिरोध के बीच ममता बनर्जी ने 31 मई को कहा कि बंदोपाध्याय “सेवानिवृत्त” हो गए हैं और उन्हें तीन सालों के लिये मुख्यमंत्री का सलाहकार नियुक्त किया गया है।

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