अमेरिका और सोवियत संघ के बीच चले शीत युद्ध के दौरान तमाम हैरान करने वाली घटनाएं हुई थीं।
Image Source : NASA उस दौर में अमेरिका और सोवियत संघ किसी भी क्षेत्र में एक दूसरे से पीछे नहीं रहना चाहते थे।
Image Source : NASA दोनों ही देश अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई उपलब्धियां हासिल कर रहे थे और खुद को आगे बढ़ाए रखने के लिए किसी भी हद तक जा रहे थे।
Image Source : NASA इस होड़ में एक वक्त तो ऐसा आया जब अमेरिका ने चांद पर परमाणु बम गिराने का प्लान बना लिया था।
Image Source : File अमेरिका की वायुसेना द्वारा 1958 में बनाए गए इस टॉप सीक्रेट प्लान को नाम दिया गया ‘अ स्टडी ऑफ लूनर रिसर्च फ्लाइट्स’ (A Study of Lunar Research Flights) या शॉर्ट में कहें तो प्रोजेक्ट ‘ए-119’।
Image Source : File अमेरिका के इस प्रोजेक्ट का मकसद चांद पर परमाणु बम गिराना था, ताकि प्लेनेटरी एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोजियोलॉजी के कुछ सवालों के जवाब मिल सकें।
Image Source : File अमेरिका ने परमाणु बम को लूनर क्रिएटर के बजाय सतह पर गिराने का प्लान बनाया था ताकि विस्फोट की रोशनी को धरती से नंगी आंखों से ही देखा जा सके।
Image Source : NASA अमेरिका इस तरह खुद को सोवियत संघ से बीस दिखाना चाहता था और दुनिया को बताना चाहता था कि वह कितना कुछ कर सकता है।
Image Source : NASA दरअसल, उस वक्त तक अंतरिक्ष की दौड़ में सोवियत संघ काफी आगे था और अमेरिका को यह बात मंजूर नहीं थी।
Image Source : NASA हालांकि अमेरिका को सद्बुद्धि आई, प्रोजेक्ट A119 को रोक दिया गया और यह योजना फिर कभी परवान नहीं चढ़ सकी।
Image Source : File प्रोजेक्ट ए-119 को रद्द करने को लेकर कहा गया कि इस प्रोजेक्ट से जितना फायदा हो सकता है, उससे कहीं ज्यादा नुकसान होने की संभावना है।
Image Source : NASA बता दें कि सोवियत संघ भी ऐसे ही एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था, जिसका नाम ई-4 था, लेकिन ये भी नाकाम ही रहा।
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