जब चांद पर परमाणु बम गिराने जा रहा था अमेरिका, जानिए क्यों रोकना पड़ा था प्रोजेक्ट A119

जब चांद पर परमाणु बम गिराने जा रहा था अमेरिका, जानिए क्यों रोकना पड़ा था प्रोजेक्ट A119

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अमेरिका और सोवियत संघ के बीच चले शीत युद्ध के दौरान तमाम हैरान करने वाली घटनाएं हुई थीं।

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उस दौर में अमेरिका और सोवियत संघ किसी भी क्षेत्र में एक दूसरे से पीछे नहीं रहना चाहते थे।

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दोनों ही देश अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई उपलब्धियां हासिल कर रहे थे और खुद को आगे बढ़ाए रखने के लिए किसी भी हद तक जा रहे थे।

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इस होड़ में एक वक्त तो ऐसा आया जब अमेरिका ने चांद पर परमाणु बम गिराने का प्लान बना लिया था।

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अमेरिका की वायुसेना द्वारा 1958 में बनाए गए इस टॉप सीक्रेट प्लान को नाम दिया गया ‘अ स्टडी ऑफ लूनर रिसर्च फ्लाइट्स’ (A Study of Lunar Research Flights) या शॉर्ट में कहें तो प्रोजेक्ट ‘ए-119’।

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अमेरिका के इस प्रोजेक्ट का मकसद चांद पर परमाणु बम गिराना था, ताकि प्लेनेटरी एस्ट्रोनॉमी और एस्ट्रोजियोलॉजी के कुछ सवालों के जवाब मिल सकें।

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अमेरिका ने परमाणु बम को लूनर क्रिएटर के बजाय सतह पर गिराने का प्लान बनाया था ताकि विस्फोट की रोशनी को धरती से नंगी आंखों से ही देखा जा सके।

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अमेरिका इस तरह खुद को सोवियत संघ से बीस दिखाना चाहता था और दुनिया को बताना चाहता था कि वह कितना कुछ कर सकता है।

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दरअसल, उस वक्त तक अंतरिक्ष की दौड़ में सोवियत संघ काफी आगे था और अमेरिका को यह बात मंजूर नहीं थी।

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हालांकि अमेरिका को सद्बुद्धि आई, प्रोजेक्ट A119 को रोक दिया गया और यह योजना फिर कभी परवान नहीं चढ़ सकी।

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प्रोजेक्ट ए-119 को रद्द करने को लेकर कहा गया कि इस प्रोजेक्ट से जितना फायदा हो सकता है, उससे कहीं ज्यादा नुकसान होने की संभावना है।

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बता दें कि सोवियत संघ भी ऐसे ही एक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा था, जिसका नाम ई-4 था, लेकिन ये भी नाकाम ही रहा।

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