इजरायल और ईरान पहले गहरे दोस्त थे। मगर अचानक ऐसा क्या हो गया कि दोनों देश एक दूसरे के कट्टर दुश्मन बन गए। इसके पीछे सिर्फ एक नहीं, बल्कि कई गंभीर कारण हैं।
Image Source : File ईरान एक इस्लामिक देश है। जबकि इजरायल यहूदियों का देश है। दोनों देशों के लोगों का धर्म अलग होना भी दुश्मनी की एक वजह है।
Image Source : File ईरान में वर्ष 1979 में इस्लामिक क्रांति शुरू हुई थी। इसके बाद ईरान में जिस नई ताकत का उदय हुआ, माना गया कि वो पश्चिमी देशों को टक्कर दे सकता है। ईरान-इजरायल अलग धार्मिक मान्यताओं वाले देश हैं। ईरान मानता है कि इजरायल ने मुसलमानों की जमीन पर कब्जा किया है। इसलिए वह उसे मिटा देने पर आमादा हो गया। यहीं से असली दुश्मनी शुरू हुई।
Image Source : File आज से करीब 100 साल पहले इजरायल देश था ही नहीं। पहले गाजा, वेस्ट बैंक, इजरायल सब एक ही थे। इसे फिलिस्तीन कहा जाता था। प्रथम विश्वयुद्ध में जीत के बाद ब्रिटेन ने फलस्तीन पर कब्जा कर लिया। यहां यहूदी अल्पसंख्यक और अरबी बहुसंख्यक थे। धीरे-धीरे यहूदियों और अरबी लोगों में विवाद हो गया। यहूदियों के लिए अलग देश की मांग उठने लगी।
Image Source : File 1947 में संयुक्त राष्ट्र ने यहूदियों के लिए एक अलग अंतरराष्ट्रीय शहर बनाए जाने की घोषणा कर दी। इससे अरबी नाराज हो गए। इसके बाद 1948 में अंग्रेज भी फिलस्तीन को उसके हाल पर छोड़कर चले गए। फिर यहूदी नेताओं ने इजरायल नाम से एक अलग देश बनाया। इसके बाद दोनों समुदाय के बीच भयंकर जंग छिड़ गई। यहूदियों ने फिलस्तीन के ज्यादातर हिस्सों पर कब्जा कर लिया। इजरायल को तुर्की और ईरान ने ही सबसे पहले देश के तौर पर मान्यता दी।
Image Source : File 1979 में ईरान में विद्रोह हुआ तो शाह रजा पहलवी को गद्दी छोड़नी पड़ी और शिया नेता अयातुल्ला खुमैनी ईरान के नए शासक बने। उन्होंने ईरान को इस्लामिक राष्ट्र घोषित कर दिया। अमेरिका, इजरायल से दूरी बना ली। इसके बावजूद 1980 में इजरायल ने ईरान की इराक से युद्ध छिड़ने पर पूरी मदद की। बाद में ईरान फिर इजरायल से दुश्मनी पाल ली। तब से दोनों देश प्रॉक्सी वार में रहे। बीते 1 अप्रैल को सीरिया के दमिश्क में ईरानी दूतावास पर इजरायली हमले ने इजरायल-ईरान में सीधे युद्ध की नौबत ला दी।
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