इंडियन रेलवे सिस्टम में ड्राइवर को लोहे का छल्ला देने यानी टोकन एक्सचेंज को लाने का मकसद यात्री की सुरक्षा से जुड़ा था।
Image Source : फाइल फोटो टोकन एक्सचेंज की मदद से यह जाना जाता है कि कोई ट्रेन उस स्टेशन पर पहुंची या नहीं जहां से गुजरकर उसे आखिरी स्टेशन तक जाना था।
Image Source : फाइल फोटो टोकन एक्सचेंज का काम ट्रेनों का ठीक और सुरक्षित तरीके से संचालन के बारे में जानकारी देना था।
Image Source : फाइल फोटो पहले कई जगहों पर एक ही ट्रैक होते थे और एक ही समय में आने जाने वाली गाड़ियां आती जाती थीं। टोकन एक्सेंज की मदद से दोनों ट्रेनों के टकराव को रोका जाता था।
Image Source : फाइल फोटो टोकन एक्सचेंज में स्टेशन मास्टर ट्रेन के ड्राइवर को एक लोहे का छल्ला देता है। टोकन मिलने का मतलब होता है कि वह ट्रैक पूरी तरह से फ्री है। यानी अगले स्टेशन पर लाइन पूरी तरह से क्लियर है।
Image Source : फाइल फोटो जब गाड़ी स्टेशन पर पहुंच जाती है तो ड्राइवर उस लोहे के छल्ले को स्टेशन मास्टर को दे देता है और फिर वह किसी और ड्राइवर को दे दिया जाता है।
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