भगवान शिव को नीलकंठ क्यों कहते हैं? इस वजह से पड़ा ये नाम

भगवान शिव को नीलकंठ क्यों कहते हैं? इस वजह से पड़ा ये नाम

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सोमवार का दिन विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है। सभी शिव भक्त भगवान को उनके अनेक-अनेक नामों से बुलाते हैं। आइये जानते हैं भगवान शिव का नाम नीलकंठ कैसे और क्यों पड़ा।

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भगवान शिव देव और दानवों दोनों के पूजनीय हैं इसलिए उन्हें महादेव कहते हैं। लेकिन नीलकंठ नाम उनका किस कारण पड़ा उसके पीछे एक पौराणिक घटना है।

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समुद्र मंथन के दौरान जब देवता और असुर मथनी से समुद्र को अमृत कलश के उद्देश्य से मथ रहे थे। तब उसमे से सबसे पहले कालकूट नामक विष निकला।

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समुद्र से निकलने वाला विष अग्नी के समान गर्म था और तीव्र गती से चारों दिशाओं में फैलने लगा।

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विष इतना गर्म था कि समुद्र मंथन में मौजूद देवता, ऋषि, यक्ष, गंधर्व और दानव सभी उसके ताप से भयभीत हो गए और समुद्र मंथन का उद्देश्य प्राप्त करने में असमर्थ होते जा रहे थे।

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सभी ने भगवान शिव से प्रार्थना करते हुए कहा कि है महादेव इस संकट से अब आप ही पार लगा सकते हैं।

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भगवान शिव ने सभी की प्रार्थना को स्वीकार किया और विष को अपने शंख में भर लिया और सृष्टि के उद्धार के लिए कालकूट विष को अपने मुख में भर लिया।

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भगवान शिव ने समुद्र से निकले वाले विष को अपने कंठ में समाहित कर लिया और भगवान विष्णु का स्मरण किया।

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विष का ताप इतना था की भगवान शिव का कंठ नीला पड़ गया और वह जगत में नीलकंठ नाम से प्रसिद्ध हो गए।

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