सोमवार का दिन विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है। सभी शिव भक्त भगवान को उनके अनेक-अनेक नामों से बुलाते हैं। आइये जानते हैं भगवान शिव का नाम नीलकंठ कैसे और क्यों पड़ा।
Image Source : PIXABAY भगवान शिव देव और दानवों दोनों के पूजनीय हैं इसलिए उन्हें महादेव कहते हैं। लेकिन नीलकंठ नाम उनका किस कारण पड़ा उसके पीछे एक पौराणिक घटना है।
Image Source : FREEPIK समुद्र मंथन के दौरान जब देवता और असुर मथनी से समुद्र को अमृत कलश के उद्देश्य से मथ रहे थे। तब उसमे से सबसे पहले कालकूट नामक विष निकला।
Image Source : FREEPIK समुद्र से निकलने वाला विष अग्नी के समान गर्म था और तीव्र गती से चारों दिशाओं में फैलने लगा।
Image Source : FREEPIK विष इतना गर्म था कि समुद्र मंथन में मौजूद देवता, ऋषि, यक्ष, गंधर्व और दानव सभी उसके ताप से भयभीत हो गए और समुद्र मंथन का उद्देश्य प्राप्त करने में असमर्थ होते जा रहे थे।
Image Source : FREEPIK सभी ने भगवान शिव से प्रार्थना करते हुए कहा कि है महादेव इस संकट से अब आप ही पार लगा सकते हैं।
Image Source : PIXABAY भगवान शिव ने सभी की प्रार्थना को स्वीकार किया और विष को अपने शंख में भर लिया और सृष्टि के उद्धार के लिए कालकूट विष को अपने मुख में भर लिया।
Image Source : INDIA TV भगवान शिव ने समुद्र से निकले वाले विष को अपने कंठ में समाहित कर लिया और भगवान विष्णु का स्मरण किया।
Image Source : INDIA TV विष का ताप इतना था की भगवान शिव का कंठ नीला पड़ गया और वह जगत में नीलकंठ नाम से प्रसिद्ध हो गए।
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