त्र्यंबकेश्वर मंदिर क्यों प्रसिद्ध है? यहां जानिए इससे जुड़ी मान्यताओं के बारे में

त्र्यंबकेश्वर मंदिर क्यों प्रसिद्ध है? यहां जानिए इससे जुड़ी मान्यताओं के बारे में

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त्र्यंबकेश्वर मंदिर 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंग में से एक माना जाता है। यह प्रसिद्ध मंदिर महाराष्ट्र के नासिक जिल में स्थित है।

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त्र्यंबकेश्वर मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां भगवान शिव के साथ ब्रह्मा और विष्णु भी विराजमान है। अन्य ज्योर्तिलिंग मंदिरों में केवल शिवजी ही विराजित हैं।

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कहा जाता है कि भव्य त्र्यंबकेश्वर मंदिर को बनाने में करीब 16 लाख रुपए खर्च हुए थे। पूरा मंदिर काले पत्थरों से बना हुआ है।

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त्र्यंबकेश्वर मंदिर की भव्यता और शिवजी के दर्शन करने के लिए यहां देशभर से हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं।

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पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, त्र्यंबक इलाके को गौतम ऋषि की तपोभूमि के तौर पर भी जाना जाता है।

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कहा जाता है कि सोने और कीमती रत्नों से बने लिंग के ऊपर मुकुट महाभारत के पांडवों द्वारा स्थापित किया गया था।

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अन्य हिंदू मंदिरों की तरह त्रयंबकेश्वर मंदिर पर मुगलों ने हमला किया था। औरंगजेब ने मंदिर को तुड़वा दिया था और नासिक का नाम भी बदल दिया था।

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लेकिन बाद में नासिक पर मराठों के कब्जे के बाद मंदिर का पुनर्निर्माण कराया गया था। इतिहासकार जदुनाथ सरकार ने अपनी पुस्तक हिस्ट्री ऑफ औरंगजेब में इसका इन बातों का जिक्र किया है।

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