भगवान विष्णु ने सृष्टि के कल्याण और धर्म की रक्षा के लिए 7वां अवतार भगवान राम का अयोध्या पुरी में लिया था।
Image Source : File Image रामचरितमानस के अनुसार भगवान राम का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था।
Image Source : File Image भगवान राम का जब जन्म हुआ था तो शुभ मुहूर्त अभिजीत था और उनका जन्म पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था।
Image Source : File Image भगवान राम के जन्म को दर्शाती तुलसी दास जी की चौपाई- नौमी तिथि मधुमास पुनीता। शुक्ल पच्छ अभिजित हरि प्रीता । मध्य दिवस अति शीत न घामा। पावन काल लोक विश्रामा।।
Image Source : File Image उनके जन्म के समय पांचों ग्रह सूर्य, मंगल, बहस्पित, शुक्र और शनि यह सब अपनी उच्च राशि में स्थित थे।
Image Source : File Image ज्योतिष में बहुत दुर्लभ होता है किसी के जन्म समय के दौरान 5 ग्रहों का उच्च होना। यह सिर्फ भगवान राम के जन्म में ही संभव था।
Image Source : File Image ज्योतिष शास्त्र में पुनर्वसु नक्षत्र 27 नक्षत्रों में से 7वां और बेहद शुभ नक्षत्र माना गया है।
Image Source : File Image पुनर्वसु नक्षत्र में जन्में लोग जीवन में सफल, कुशल नेतृत्व रखने वाले, अच्छा बोलने वाले, सुंदर, कुरुणामय और विवेकवान आदि गुणों से सम्पन्न होते हैं। यह सभी गुण भगवान राम में थे।
Image Source : File Image इस नक्षत्र के अधिपति आदिती हैं, स्वमी ग्रह गुरु बृहस्पित, देवता गण की प्रवृति और प्रतीक चिह्न धनुष है। इस नक्षत्र का प्रतीक चिह्न भगवान राम के धनुष को भी दर्शाता है।
Image Source : File Image जब भगवान राम का जन्म हुआ था तब अभिजीत मुहूर्त था जिसका अर्थ है विजय प्राप्त करना।
Image Source : File Image रामायण के अनुसार भगवान राम ने रावण से युद्ध में विजय प्राप्त की थी।
Image Source : India Tv अयोध्या में भगवान राम का जन्मोत्सव बड़े धूम-धाम से मनाया जाता है और उनके जन्मोत्सव को रामनवमी कहते हैं।
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