भगवान शिव के गले में जो सर्प विराजमान है उनका नाम है वासुकी। कैसे वासुकी भगवान शिव के गले का आभूषण बने आइए जानते हैं इसकी रोचक कहानी।
Image Source : INDIA TV वासुकी थे भगवान शिव के परम भक्त। हमेशा शिव भक्ति में रहते थे लीन।
Image Source : INDIA TV समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और असुरों की मदद के लिए अपने शरीर का रस्सी के रूप में करने दिया प्रयोग।
Image Source : INDIA TV भगवान शिव ने जब विष पिया और उनके मुख से कुछ बूंदें जमीन पर गिरीं तो, वासुकी ने अपने प्राणों की चिंता किये बिना उन बूदों को पी लिया। ताकि सृष्टि पर न पड़े कोई बुरा असर।
Image Source : INDIA TV वासुकी की निश्छलता, समर्पण और भक्ति-भाव से भगवान शिव हुए अति प्रसन्न।
Image Source : INDIA TV इसके बाद भगवान शिव ने वासुकी को नागलोक का राजा बनाया और साथ ही उनको ये वरदान दिया कि, आभूषण के रूप में वासुकी हमेशा उनके गले में रहेंगे।
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