सूर्य देव को तांबे के लोटे से ही क्यों अर्घ्य दिया जाता है? जानिए

सूर्य देव को तांबे के लोटे से ही क्यों अर्घ्य दिया जाता है? जानिए

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हिंदू धर्म में सूर्य देव ऊर्जा के कारक माने जाते हैं, आखिर इनको तांबे के लोटे से अर्घ्य क्यों दिया जाता है आइए जानते हैं।

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तांबे को एक शुभ धातु माना जाता है इसलिए अधिकतर पूजा के पात्र के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है चाहें लोटा हो, आचमन हो या फिर अखंड ज्योति का दीया।

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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तांबे को सूर्य देव की प्रिय धातु माना जाता है।

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यदि तांब के लोटे से सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाए तो वह शीघ्र प्रसन्न होते हैं और सफलता का आशीर्वाद देते हैं।

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सूर्योदय के समय सूर्य देव को जल देने का सबसे उत्तम समय माना गया है।

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सूर्य देव को अर्घ्य देते समय गायत्री मंत्र का जाप करना सबसे लाभकारी माना जाता है। मंत्र इस प्रकार से- ऊँ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

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इसके अलावा आप अर्घ्य देने के इन मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं। मंत्र इस प्रकार से - ऊं सूर्य देवाय नमः या फिर ऊं आदित्याय नम:।

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रविवार के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने से जीवन में सफलता, आत्मविश्वास, सकारात्मकता, यश-वैभव इन सब चीजों की प्राप्ति होती है।

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एक बात का विशेष ध्यान रखें यदि आपको सूर्य देव के इन शुभ फलों की प्राप्ति करनी है तो तांबे का लोटा मध्यम आकार का ही प्रयोग करें और उसे स्वच्छ रखें।

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