भारत की भूमि में अनेक सिद्ध संतों और ऋषि-मुनियों ने कई वर्षों तक तपस्या कि लेकिन ये हिमालय की गुफाओं को ही तप के लिए क्यों चुनते हैं, आइए जानते हैं।
Image Source : India Tv साधु-संतों की परंपराओं के अनुसार जो तपस्वी साधु होते हैं वह विरक्त होते हैं। विरक्त यानी जो सांसारिक दुनिया से दूर रहते हैं।
Image Source : File Image ये साधु भगवान शिव के परम भक्त होते हैं और इसलिए इन्हें हिमालय की ऊंची चोटियों में गुफाओं के अंदर रहना पसंद है।
Image Source : File Image मान्यता है कि इनका अंतिम लक्ष्य मोक्ष प्राप्त करना होता है और इसके लिए इन्हें ध्यान और गहरी साधना करनी पड़ती है।
Image Source : File Image ध्यान साधना के लिए एकांत स्थान चाहिए जो हिमालय पर मिलता है, इसलिए ये साधु हिमालय की गुफाओं में रहते हैं और लंबे समय तक ध्यान,जप और तप करते हैं।
Image Source : INDIA TV हिमालय में बनी गुफाएं भौतिक दुनिया के संपर्क से बहुत दूर हैं, इसलिए इन साधुओं को यहां अपने अंतिम लक्ष्य मोक्ष की प्राप्ति आसानी से हो जाती है।
Image Source : India Tv शास्त्रों में हिमालय देवी-देवताओं और महादेव का प्रिय स्थान बताया गया है, यहां दैवीय शक्तियों का प्रवाह होने के कारण तप कर रहे साधुओं की तपस्या शीघ्र सफल हो जाती है।
Image Source : India Tv पौराणिक काल में इसलिए ऋषि-मुनी अधिकतर हिमालय की गुफाओं में रहा करते थे और इन गुफाओं में रहते हुए जगत कल्याण के लिए अनेक ग्रंथों की रचना किया करते थे।
Image Source : INDIA TV मान्यता है कि ऋषि-मुनियों को ध्यान से दिव्य ज्ञान प्राप्त होने के बाद वह जगत कल्याण के लिए हिमालय की गुफाओं में रहकर ग्रंथ लिखते हैं, जिससे जीवन का मार्गदर्शन होता है।
Image Source : Pexels Next : मंगल गोचर का सभी 12 राशियों पर क्या पड़ेगा असर? जानें