आपने ऋषि-मुनि और साधु-संतों के बारे में तो सुना होगा, लेकिन इनमें अंतर क्या होता है इसके बारे में आज हम आपको जानकारी देंगे।
Image Source : File ऋषि वैदिक रचनाकारों को कहा जाता है। कठोर तप के बाद किसी को ऋषि की उपाधि प्राप्त होती है। ऋषि वह है जो इर्ष्या, अहंकार और माया-मोह के बंधनों से ऊपर उठ गया हो।
Image Source : File मुनि उनको कहा जाता है जिन्हें वेद-ग्रंथों का ज्ञान प्राप्त होता है। ऋषि जब समस्त ज्ञान प्राप्ति के बाद मौन रहने का प्रण ले लेते हैं तो मुनि कहलाते हैं।
Image Source : File साधु उनको कहा जता है जिन्हें वेद आदि का ज्ञान तो नहीं होता, लेकिन अपनी साधना से जो सत्य को जान लेते हैं।
Image Source : File हमेशा सत्य के मार्ग पर चलने वाले, सत्य बोलने वाले आत्मज्ञानी को संत की संज्ञा दी जाती है।
Image Source : File हिंदू पौराणिक ग्रंथों में आपको कई ऋषि-मुनियों और संतों के बारे में जिक्र मिल जाता है।
Image Source : File लेकिन अब आप ये समझ पाएंगे कि आखिर इन सब में अंतर क्या होता है, और कैसे ऋषि-मुनि, साध-संत एक दूसरे से अलग हैं।
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