वाल्मिकी जी को कौन नहीं जानता है। हिंदू धर्म के सबसे पवित्र ग्रंथ रामायण की रचना करने वाले महर्षि का नाम आखिर वाल्मिकी कैसे पड़ा आइए जानते हैं।
Image Source : India Tv श्री राम की पावन लीला को रामायण के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाने वाले महर्षि वाल्मिकी से जुड़ी आज एक महत्वपूर्ण बात हम आपको बताने जा रहे हैं।
Image Source : INDIA TV पौराणिक कथा के अनुसार वाल्मिकी जी का नाम रत्नाकर था और वह अपने परिवार का पालन पोषढ़ करने के लिए जंगल में लूट पाट किया करते थे।
Image Source : INDIA TV एक बार नारद मुनि जंगल के रास्ते से गुजर रहे थे तभी उनको रत्नाकर ने बंधक बना लिया था।
Image Source : India Tv नारद मुनि तो देवर्षि हैं उन्होंने ने रत्नाकर से पूछ लिया आप आए दिन लूट पाट जैसा पाप कर्म क्यों करते हैं। क्या आपको पता है ऐसा करने से आप आए दिन घोर पाप के भोगी बनते हैं।
Image Source : India Tv रत्नाकर ने नारद मुनि से बोला यह में अपने परिवार के पालन पोषण के लिए करता हूं यही मेरी आजीविका का माध्यम है।
Image Source : India Tv नारद मुनि ने कहा जिस परिवार के लिए आप यह कार्य कर रहे हैं क्या वह भी आपके पाप के भागीदार बनेंगे। यह सवाल आप अपने परिवार से पूछिए।
Image Source : India Tv रत्नाकर ने जब अपने परिवार से यह पूछा तो सब ने उनसे यह बोला कि हम तुम्हारे पाप के भागीदार नहीं बनेंगे। तब उनको इस बात का एहसास हुआ कि परिवार के लिए जो कार्य वो कर रहे हैं वह गलत है।
Image Source : India Tv इसके बाद नारद मुनि ने उनको राम नाम जपने के लिए कहा। मान्यता है कि वह राम नाम का उल्टा जाप करने लगे फिर भी वह राम धुन ही निकल रही थी।
Image Source : India Tv रत्नाकर की तपस्या से ब्रह्मा जी प्रसन्न हुए और उनको रामायण लिखने की प्रेरणा देते हुए उनका पूरा मार्गदर्शन किया।
Image Source : INDIA TV कथा के अनुसार वह राम नाम की तपस्या में इतना लीन थे कि उनके शरीर पर दीमक ने घर बना लिया।
Image Source : India Tv तपस्या में लीन होने के कारण दीमक की बांबी लगने से उनका नाम वाल्मिकी पड़ गया था। रामायण जैसे दिव्य ग्रंथ को लिखने के बाद उन्हें महर्षि की उपाधि प्राप्त हो गई।
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