हर साल पितृ पक्ष भाद्रपद की पूर्णिमा से लेकर आश्विन मास की अमावस्या तक रहती है।
Image Source : FILE IMAGE पितृ पक्ष के दौरान पूर्वजों का तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को मोक्ष और शांति मिलती है।
Image Source : FILE IMAGE श्राद्ध तिथि के अनुसार किया जाता है लेकिन जिन्हें अपने पितरों के मृत्यु की तिथि नहीं पता है उनका श्राद्ध आश्विन माह के अमावस्या को किया जाता है।
Image Source : FILE IMAGE धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पितृ पक्ष के दिनों में पितरों का पिंडदान श्राद्ध, तर्पण, आदि करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं।
Image Source : FILE IMAGE शास्त्रों के अनुसार, श्राद्ध केवल तीन पीढ़ियों तक का ही किया जाता है।
Image Source : FILE IMAGE इसमें मातृकुल (नाना) और पितृकुल (दादा) दोनों शामिल होते हैं।
Image Source : FILE IMAGE मान्यताओं के अनुसार, तीन पीढ़ियों से अधिक का श्राद्ध कर्म नहीं होता है।
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