पितृपक्ष के दौरान पितरों की मुक्ति के लिए श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण किया जाता है।
Image Source : FILE IMAGE पितृ पक्ष के दौरान अगर आप पितरों को जल दे रहे हैं तो उस समय क्या बोलना चाहिए आज हम इसकी चर्चा करेंगे।
Image Source : FILE IMAGE पितरों को जल देते समय सबसे पहले अपने गोत्र का नाम लेना चाहिए। इसके बाद आप जिसका तर्पण कर रहे हैं उसका नाम जोड़ते हुए मंत्र का उच्चारण करना चाहिए।
Image Source : FILE IMAGE दादा का तर्पण करते समय अपने गोत्र का नाम लेते हुए बोलें- अस्मतपितामह वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र का उच्चारण करते हुए 3 बार जल दें।
Image Source : FILE IMAGE दादी का तर्पण करते समय गोत्र का नाम लेते हुए 'गोत्रे अस्मत्पितामह वसुरूपत तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः मंत्र का उच्चारण करते हुए 16 बार पूरब दिशा में, 7 बार उत्तर दिशा में और 14 बार दक्षिण दिशा में जल देना चाहिए।
Image Source : FILE IMAGE वहीं पितरों को जल देते समय ॐ पितृ देवतायै नम: मंत्र का जाप करने से भी पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
Image Source : FILE IMAGE 'ओम आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम' पितरों को जल देते समय इस मंत्र का जाप करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
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