मान्यता है कि देव दीपावली के दिन देवता इसे मनाने काशी में आते हैं। इसलिए कार्तिक पूर्णिमा में पड़ने वाले इस पर्व को देव दीपावली कहा जाता है। आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह।
Image Source : File Image कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवताओं के निवेदन करने पर भगवान शिव ने इस दिन राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था।
Image Source : File Image पौराणिक मान्यता के अनुसार त्रिपुरासुर के आतंक से देवता गण परेशान हो गए थे। इसलिए उन्होनें महादेव से सहायता मांगी थी।
Image Source : India Tv जिस त्रिपुरासुर का संहार भगवान शिव ने किया था। उसी राक्षस के अंत की खुशी में देवताओं ने काशी में दीप जलाए थे।
Image Source : India Tv पौराणिक कथा के अनुसार त्रिपुरासुर के वध के बाद देवता गण भगवान शिव की नगरी काशी पहुंच कर उनको बधाई देने आए थे।
Image Source : India Tv देवताओं को भगवान शिव ने त्रिपुरासुर के आतंक से मुक्त किया था। इस कारण देवताओं ने काशी में गंगा तट के किनारे उस दिन कई सारे दीप जलाए थे।
Image Source : India Tv माना जाता है उस समय ऐसा दर्शय था कि भोलेनाथ की नगरी काशी में ही सारा स्वर्ग लोक उतर के आगया हो।
Image Source : File Image देवदाओं के दीप जलाने के कारण इस पर्व का नाम देव दीपावली पड़ गया और यह हर साल तबसे मनाया जाने लगा।
Image Source : File Image मान्यता है कि आज भी देव दीपावली के दिन देवता गण स्वर्ग लोक से उतर कर महादेव की नगरी काशी में आते हैं।
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