नवरात्रि में कलश स्थापना के साथ ही जौ बोने की भी परंपरा है। कहते हैं ऐसा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं।
Image Source : FILE IMAGE जौ को पूजा पाठ में सबसे पवित्र अन्न माना जाता है। जौ को जवारे और खेत्री भी कहा जाता है।
Image Source : FILE IMAGE खेत्री देवी दुर्गा का शाकुम्बरी का स्वरूप माना जाता है जो सुख समृद्धि लाने वाली है। खेत्री माता की पूजा करने से वातावरण शुद्ध होता है और घर में खुशहाली आती है।
Image Source : FILE IMAGE नवरात्रि के आखिरी दिन जौ या जवारे जिन्हें खेत्री माता कहा जाता है उन्हें प्रणाम करें और पूजा में हुई गलतियों के लिए माफी मांगें।
Image Source : FILE IMAGE इसके बाद कुछ जवारे माता रानी को अर्पित करें। कुछ जवारे परिवार के सभी सदस्यों के हाथ में दें।
Image Source : FILE IMAGE कुछ जवारे अपने कार्य स्थल और तिजोरी में रख लें। ऐसा करने से माता रानी की कृपा सदैव बनी रहेगी।
Image Source : FILE IMAGE जिसमें जवारे रखें थे उस पात्र के कलावे को खोलकर हाथ में बांध लें। बाकी अब बचे हुए जौ या जवारे किसी नदी, तालाब या शुद्ध जलाशय में प्रवाहित कर दें।
Image Source : FILE IMAGE अगर ऐसा संभव नहीं है तो घर में ही किसी शुद्ध गमले की मिट्टी में जवारे को दबा दें, जिससे यह बाद में खाद बन जाए।
Image Source : FILE IMAGE जवारे का जिस श्रद्धा और भक्ति भाव से पूजन किया था विसर्जन भी उसी भाव से करना चाहिए।
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