नवरात्रि के बाद जौ या जवारे का क्या करें? जानें

नवरात्रि के बाद जौ या जवारे का क्या करें? जानें

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नवरात्रि में कलश स्थापना के साथ ही जौ बोने की भी परंपरा है। कहते हैं ऐसा करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं।

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जौ को पूजा पाठ में सबसे पवित्र अन्न माना जाता है। जौ को जवारे और खेत्री भी कहा जाता है।

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खेत्री देवी दुर्गा का शाकुम्बरी का स्वरूप माना जाता है जो सुख समृद्धि लाने वाली है। खेत्री माता की पूजा करने से वातावरण शुद्ध होता है और घर में खुशहाली आती है।

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नवरात्रि के आखिरी दिन जौ या जवारे जिन्हें खेत्री माता कहा जाता है उन्हें प्रणाम करें और पूजा में हुई गलतियों के लिए माफी मांगें।

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इसके बाद कुछ जवारे माता रानी को अर्पित करें। कुछ जवारे परिवार के सभी सदस्यों के हाथ में दें।

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कुछ जवारे अपने कार्य स्थल और तिजोरी में रख लें। ऐसा करने से माता रानी की कृपा सदैव बनी रहेगी।

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जिसमें जवारे रखें थे उस पात्र के कलावे को खोलकर हाथ में बांध लें। बाकी अब बचे हुए जौ या जवारे किसी नदी, तालाब या शुद्ध जलाशय में प्रवाहित कर दें।

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अगर ऐसा संभव नहीं है तो घर में ही किसी शुद्ध गमले की मिट्टी में जवारे को दबा दें, जिससे यह बाद में खाद बन जाए।

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जवारे का जिस श्रद्धा और भक्ति भाव से पूजन किया था विसर्जन भी उसी भाव से करना चाहिए।

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