महामृत्युंजय मंत्र का जाप कब और कैसे करें? जानें क्या है सही विधि

महामृत्युंजय मंत्र का जाप कब और कैसे करें? जानें क्या है सही विधि

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महामृत्युंजय का जो भी मंत्र का जाप करें उसके उच्चारण ठीक ढंग से यानि की शुद्धता के साथ करें। एक शब्द की भी गलती आपको भारी पड़ सकती है।

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इस मंत्र का जाप एक निश्चित संख्या निर्धारण कर करें। मंत्र का जाप करते समय उच्चारण होठों से बाहर नहीं आना चाहिए। यदि इसका अभ्यास न हो तो धीमे स्वर में जप करें।

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इस बात का विशेष ध्यान रखें कि इस मंत्र का जाप करते समय धूप-दीप जलते रहना चाहिए।

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महामृत्युंजय मंत्र का जाप केवल रुद्राक्ष माला से ही करना चाहिए। इस मंत्र का जाप करते वक्त शिवलिंग में दूध मिले जल से अभिषक करते रहें।

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महामृत्युंजय मंत्र - 'ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ'

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मन को शांत रखकर ही इस मंत्र का जाप करें। मंत्र जाप होने के बाद हवन जरूर करें।

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महामृत्‍युंजय मंत्र का जाप सवा लाख बार और लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप 11 लाख बार कराना चाहिए। इस मंत्र का जाप सुबह से लेकर दोपहर के पहले तक करना चाहिए।

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महामृत्युमंजय मंत्र का जाप हमेशा आसन बिछाकर ही करना चाहिए।

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