साल 2025 में होने वाले महाकुंभ में नागा साधुओं के अखाड़े महाकुंभ में हिस्सा लेंगे।
Image Source : Social शंकराचार्य ने नागा साधुओं के हिंदू धर्म में योगदान को देखकर उन्हें महाकुंभ के दौरान सबसे पहले शाही स्नान करने का अवसर प्रदान किया था, तब से ये परंपरा चली आ रही है।
Image Source : Social नागा साधु जीवन भर कठिन तप करके सत्य और ईश्वर की खोज करते हैं।
Image Source : Social इनका जीवन रहस्यों से भरा है, हिमालय की कंदराओं में ये सालों-साल तपस्या करते हैं और बहुत कम ही इनके दर्शन होते हैं।
Image Source : Social महाकुंभ ही एक ऐसा मौका है जब कई नागा साधु एक साथ नजर आते हैं।
Image Source : Social ये आजीवन दुनिया से दूर रहते हैं और मृत्यु के बाद इनका अंतिम संस्कार भी अलग तरीके से किया जाता है।
Image Source : Social चूंकि ये जीते जी ही अपना पिंडदान कर देते हैं इसलिए मृत्यु के बाद इन्हें जल या थल समाधि दिलाई जाती है।
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