कुंभ मेले के बाद आखिर कहां चले जाते हैं नागा साधु? जानिए

कुंभ मेले के बाद आखिर कहां चले जाते हैं नागा साधु? जानिए

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हिंदू परंपरा के अनुसार कुंभ मेला हर 12 साल में एक बार होता है। जब-जब कुंभ मेला चलता है तब हमें अधिकतर एक साथ कई नागा साधु दिख जाते हैं।

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दरअसल कुंभ मेले के दौरान यह साधु कल्पवास करते हैं और जैसे ही इनका कल्पवास समाप्त होता है ये उसके बाद कहां जाते हैं और क्या करते हैं आइए जानते हैं।

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नागा साधुओं का जीवन काफी रहस्यमयी होता है और कुंभ मेला खत्म होते ही ये लोग अचानक से दिखाई देना बंद हो जाते हैं।

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अब ऐसे में सवाल ये आता है कि कुंभ के बाद ये लोग कहां चले जाते हैं और क्या करते हैं?

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कुंभ मेला समाप्त होने के बाद नागा साधु अपने आखाड़े वापस चले जाते हैं।

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वहीं कुछ नागा साधु पहाड़ियों या नदी के तटों के पास दूर कहीं अपनी कुटिया बना कर समाज और आबादी से दूर रहना पसंद करते हैं।

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ये विरक्त होते हैं और सांसारिक सुविधाओं का त्याग कर तपस्वी का जीवन जीते हैं।

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अन्न के लिए या तो ये पहाड़ियों में मिलने वाले फल जैसे की कंदमूल या वहां की जड़ी बूटिओं का सेवन करते हैं।

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यह एक समय का ही अहार ग्रहण करते हैं और दिन भर तपस्या में लीन रहते हैं। इसलिए कुंभ मेले के बाद यह नहीं दिखते हैं।

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अधिकतर नागा परंपरा में यह सज्जनों से भीक्षा मांग कर अहार ग्रहण करते हैं।

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