सावन मास में भगवान शिव की पूजा का विधान है। भोलेनाथ की उपासना करने से भक्तों के सभी दूख दूर हो जाते हैं।
Image Source : FILE IMAGE सावन माह में कावंड़ यात्रा भी निकाली जाती है। इस दौरान कांवड़िए जल लेकर नंगे पैर यात्रा कर के भोलेनाथ के प्रसिद्ध मंदिरों में पहुंचते हैं और शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं।
Image Source : FILE IMAGE तो आइए अब जानते हैं कि कांवड़ में कहां से जल भरते हैं और सबसे ज्यादा किस मंदिर में जाकर चढ़ाते हैं?
Image Source : INDIA TV शिवजी की विशेष कृपा पाने के लिए शिवभक्त कांवड़ में गंगा, नर्मदा, शिप्रा आदि पवित्र नदियों से भरते हैं और शिवलिंग पर चढ़ाते हैं।
Image Source : FILE IMAGE मध्य प्रदेश के इंदौर, देवास, शुजालपुर आदि जगहों से कांवड़िए वहां की नदियों से जल लेकर उज्जैन पहुंचते हैं। इसके बाद शिवभक्त महाकाल का जलाभिषेक करते हैं।
Image Source : FILE IMAGE बिहार में कांवड़ यात्रा सुल्तानगंज से देवघर और पहलेजा घाट से मुजफ्फरपुर तक होती है।
Image Source : FILE IMAGE बिहार में कांवड़िए सुल्तानगंज से गंगाजल भरकर पैदल यात्रा कर झारखंड के देवघर में बाबा बैद्यनाथ (बाबाधाम) में जल चढ़ाते हैं।
Image Source : FILE IMAGE वहीं सोनपुर के पहलेजा घाट से मुज़फ़्फ़रपुर के बाबा गरीबनाथ, दूधनाथ, मुक्तिनाथ, खगेश्वर मंदिर, भैरव स्थान मंदिरों पर भक्तघण गंगा जल अर्पित करतें हैं।
Image Source : FILE IMAGE उत्तराखंड में कांवड़िया हरिद्वार, गोमुख, गंगोत्री से गंगा जल भरते हैं और शिवलिंग पर अर्पित करते हैं।
Image Source : FILE IMAGE कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़ को जमीन पर नहीं रखा जाता है। वहीं कावंड़ यात्रा के दौरान सात्विक आहार का सेवन ही किया जाता है।
Image Source : FILE IMAGE आराम करने के वक्त कांवड़ को किसी ऊंचे स्थान या पेड़ पर लटका कर रखा जाता है।
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