भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है और इस दिन चंद्रमा के दर्शन नहीं किए जाते हैं।
Image Source : pixabay इस दिन को कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है। इस दिन चंद्रमा का दर्शन करना अशुभ माना जाता है।
Image Source : pixabay गणेश चतुर्थी की रात चंद्रमा के दर्शन करने से भगवान श्रीकृष्ण पर भी स्यमंतक मणि चुराने का झूठा आरोप लगा था, इस आरोप से मुक्ति पाने के लिए श्रीकृष्ण को गणेश चतुर्थी का व्रत करना पड़ा था।
Image Source : pixabay जब भगवान गणेश को हाथी का मुख लगाया गया था उस वक्त चंद्रमा ने उनका उपहास किया था, क्योंकि उसे खुद की सुंदरता पर गुरूर था।
Image Source : pixabay श्री गणेश को क्रोध आ गया और उन्होंने चंद्रमा को श्राप दे दिया और कहा- जाओ अब से तुम काले हो जाओगे।
Image Source : pixabay जैसे ही श्रीगणेश ने ये कहा, चंद्रमा की चमक फीकी पड़ गई और वो काला हो गया। चांद को अपनी गलती का एहसास हुआ तो उन्होंने गणेशजी से माफी मांगी।
Image Source : pixabay गणेश जी ने उन्हें माफ कर दिया और कहा- सूर्य के प्रकाश से तुम चमकोगे। लेकिन इस गलती से दूसरों को सबक मिले इसलिए चतुर्थी का दिन तुम्हें दंड देने के लिए याद किया जाएगा।
Image Source : pixabay इस दिन को याद करके किसी को भी अपने रंग रूप पर गुमान नहीं होगा।
Image Source : pixabay गणेश जी ने ये भी कहा- कोई भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को चांद देखेगा तो उसपर चोरी का झूठा आरोप लगेगा और चंद्रमा पर दाग-धब्बे हमेशा रहेंगे।
Image Source : pixabay अगर न चाहते हुए भी गलती से आपने आज के दिन चांद देख लिया तो इस मंत्र का जाप करें- सिंह: प्रसेन मण्वधीत्सिंहो जाम्बवता हत:। सुकुमार मा रोदीस्तव ह्येष: स्यमन्तक:।।
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