कैसे पड़ा हरतालिका तीज का नाम? इस दिन व्रत रखने से क्या फल मिलते हैं, जानें

कैसे पड़ा हरतालिका तीज का नाम? इस दिन व्रत रखने से क्या फल मिलते हैं, जानें

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हरतालिका तीज के नाम के पीछे एक रोचक पौराणिक कहानी है।

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इस कथा के अनुसार माता पार्वती के पिता, नारद मुनि की सलाह पर भगवान विष्णु से माता पार्वती की शादी करवाना चाहते थे।

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हालांकि पार्वती जी हमेशा भगवान शिव को वर के रूप में पाना चाहती थीं। लेकिन पार्वती के पिता इस जिद्द पर अड़े थे कि वो विष्णु जी से उनकी शादी करेंगे।

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माना जाता है कि पार्वती जी के पिता की जिद्द को देखकर, पार्वती जी के पिता से छिपाकर उनकी सखियों ने पार्वती जी का हरण या अपहरण कर लिया।

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पार्वती जी की सखियां उन्हें एक वन में ले गईं जहां लंबे समय तक पार्वती जी ने शिव आराधना की।

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अंत में शिव जी माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए और पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।

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हरतालिका तीज का नाम पड़ने के पीछे भी यही कहानी जिम्मेदार है, हर का अर्थ होता है हरण और तालिका यानि सखी।

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क्योंकि पार्वती जी की सखियों ने उनका हरण किया था इसलिए हरतालिका तीज नाम से यह तीज प्रसिद्ध हुई।

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हरतालिका तीज के दिन व्रत रखने से और शिव-पार्वती का पूजन करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है, और अविवाहित लोगों को योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।

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