हरतालिका तीज के नाम के पीछे एक रोचक पौराणिक कहानी है।
Image Source : File इस कथा के अनुसार माता पार्वती के पिता, नारद मुनि की सलाह पर भगवान विष्णु से माता पार्वती की शादी करवाना चाहते थे।
Image Source : File हालांकि पार्वती जी हमेशा भगवान शिव को वर के रूप में पाना चाहती थीं। लेकिन पार्वती के पिता इस जिद्द पर अड़े थे कि वो विष्णु जी से उनकी शादी करेंगे।
Image Source : File माना जाता है कि पार्वती जी के पिता की जिद्द को देखकर, पार्वती जी के पिता से छिपाकर उनकी सखियों ने पार्वती जी का हरण या अपहरण कर लिया।
Image Source : File पार्वती जी की सखियां उन्हें एक वन में ले गईं जहां लंबे समय तक पार्वती जी ने शिव आराधना की।
Image Source : Social अंत में शिव जी माता पार्वती की तपस्या से प्रसन्न हुए और पार्वती को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया।
Image Source : Social हरतालिका तीज का नाम पड़ने के पीछे भी यही कहानी जिम्मेदार है, हर का अर्थ होता है हरण और तालिका यानि सखी।
Image Source : Social क्योंकि पार्वती जी की सखियों ने उनका हरण किया था इसलिए हरतालिका तीज नाम से यह तीज प्रसिद्ध हुई।
Image Source : File हरतालिका तीज के दिन व्रत रखने से और शिव-पार्वती का पूजन करने से वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती है, और अविवाहित लोगों को योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है।
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