अघोरी और नागा साधु की साधना में क्या अंतर होता है? जानें

अघोरी और नागा साधु की साधना में क्या अंतर होता है? जानें

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अघोरी और नागा साधु भले ही साधना के द्वारा सत्य को पाना चाहते हैं, लेकिन इन दोनों की साधन का तरीका अलग-अलग होता है।

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अघोरी साधु भगवान शिव की आराधना में लीन रहते हैं। अघोरी शव की साधना भी करते हैं और शव को मांस-मदिरा का भोग गाते हैं।

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अघोरी इंसान का कच्चा मांस तक खा जाते हैं और शव के जरिये तंत्र साधना करते हैं।

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अघोरी श्मशान में बैठकर, ऊंची गुफाओं में सुनसान इलाकों में बैठकर तंत्र साधन करते हैं और अपनी पहचान को छुपाकर रखते हैं।

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नागा साधु अखाड़ों से जुड़े होते हैं और योग-ध्यान से अपने शरीर को मजबूत बनाए रखते हैं। नागा साधु स्त्रियां भी होती हैं।

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अघोरी जहां तंत्र साधना करते हैं और एकांत में रहते है। वहीं नागा साधु मंत्र साधना और योग करते हैं और सामाजिक स्तर पर काफी सक्रिय रहते हैं।

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धर्म की रक्षा के लिए नागा साधु प्रतिबद्ध रहते हैं और समय आने पर युद्ध तक करने के लिए तैयार होते हैं। इन्हें युद्ध कला में पारंगत माना जाता है।

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नागा और अघोरी साधु कुंभ मेले के दौरान गंगा जी के घाटों पर बड़ी संख्या में देखने को मिलते हैं।

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