अघोरी और नागा साधु भले ही साधना के द्वारा सत्य को पाना चाहते हैं, लेकिन इन दोनों की साधन का तरीका अलग-अलग होता है।
Image Source : Social अघोरी साधु भगवान शिव की आराधना में लीन रहते हैं। अघोरी शव की साधना भी करते हैं और शव को मांस-मदिरा का भोग गाते हैं।
Image Source : Social अघोरी इंसान का कच्चा मांस तक खा जाते हैं और शव के जरिये तंत्र साधना करते हैं।
Image Source : Social अघोरी श्मशान में बैठकर, ऊंची गुफाओं में सुनसान इलाकों में बैठकर तंत्र साधन करते हैं और अपनी पहचान को छुपाकर रखते हैं।
Image Source : Social नागा साधु अखाड़ों से जुड़े होते हैं और योग-ध्यान से अपने शरीर को मजबूत बनाए रखते हैं। नागा साधु स्त्रियां भी होती हैं।
Image Source : Social अघोरी जहां तंत्र साधना करते हैं और एकांत में रहते है। वहीं नागा साधु मंत्र साधना और योग करते हैं और सामाजिक स्तर पर काफी सक्रिय रहते हैं।
Image Source : Social धर्म की रक्षा के लिए नागा साधु प्रतिबद्ध रहते हैं और समय आने पर युद्ध तक करने के लिए तैयार होते हैं। इन्हें युद्ध कला में पारंगत माना जाता है।
Image Source : Social नागा और अघोरी साधु कुंभ मेले के दौरान गंगा जी के घाटों पर बड़ी संख्या में देखने को मिलते हैं।
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