जब हम मंदिर जाते हैं और भगवान के दर्शन करते हैं तो वहां के पुजारी चरणामृत का जल प्रसाद में देते हैं। आखिर ये चरणामृत क्यों दिया जाता है आइए जानते हैं इसके बारे में।
Image Source : India Tv चरणामृत भगवान के पावन चरणों से धुला जल होता है। मंदिर में पुजारी छोटे से कलश से जो जल देते हैं वह यही होता है।
Image Source : India Tv मान्यता है कि जो भक्ति-भाव से चरणामृत का प्रसाद ग्रहण करते हैं। उनके ऊपर ईश्वर कभी कोई आंच नहीं आने देते हैं।
Image Source : India Tv माना जाता है कि भगवान के चरणामृत को जो पीते हैं। उनकी अकालमृत्यु नहीं होती है यदि यह दोष होता भी है तो टल जाता है।
Image Source : India Tv मंदिर में पुजारी चरणामृत देते समय जो गोपनीय मंत्र बोलते हैं। उसमें वह यह पढ़ते हैं - अकालमृत्युहरणं सर्वव्याधिविनाशनम्। विष्णो: पादोदकं पीत्वा पुनर्जन्म न विद्यते ।।
Image Source : India Tv इसका अर्थ है श्री विष्णु के चरण का यह अमृत रूपी जल सभी पापों को समाप्त करता है।
Image Source : File Image इसे पीने से पुनर्जन्म नहीं होता और यह सभी कष्ट को मिटाने वाला है। अंत में बताया गया है कि इसे पीने वाला अकालमृत्यु को नहीं प्राप्त होता है।
Image Source : INDIA TV माना जाता है चरणामृत पीने से पहले इसे मस्तक पर लगाते हैं। फिर इसे पीया जाता है। इसको ग्रहण करते समये एक भी बूंद जमीन पर नहीं गिरनी चाहिए वरना पाप लगता है।
Image Source : INDIA TV मान्यता है कि इसका सेवन शरीर के रोग एवं कष्टों को शीघ्र समाप्त कर देता है। इसे पीने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है।
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