आचर्य चाणक्य ने व्यक्ति के अंदर कुछ ऐसे गुणों के बारे में बताया है जो उसे श्रेष्ठ बनाते हैं, आइए जानते हैं वो कौन से लक्ष्ण हैं जो गुणवान व्यक्ति की सफलता को दर्शाता है।
Image Source : File Image आचार्य चाणक्य एक महान दार्शनिक गुरु के रूप में जाने जाते हैं। उनकी नीतियों से आगे बड़ने की प्रेरणा मिलती है।
Image Source : File Image उन्होनें अपनी एक नीती में गुणवान होना श्रेष्ठ बताया है, न कि धनवान होना।
Image Source : File Image उनकी नीती इस प्रकार से - गुणैरुत्तमतां याति नोच्चैरासनसंस्थितः। प्रासादशिखरस्थोऽपि काकः किं गरुडायते॥
Image Source : File Image मनुष्य दान, दया, बिद्धमान और शालींता वाले गुणों से संपन्न हो, तो वह श्रेष्ठ है।
Image Source : File Image ऊंचे पद पर बैठने से वहा महान नहीं होता। जब तक उसमें ये सब गुण न हों।
Image Source : File Image नीति के अनुसार जिस प्रकार महलों की ऊंचान पर बैठा कौआ गरुड़ नहीं बन सकता है। ठीक उसी प्रकार गुणहीन व्यक्ति कितना भी धनवान हो, वह गुणहीन ही रहेगा है।
Image Source : File Image गुणवान व्यक्ति हमेश संपन्न और सफल रहता है।
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