आचार्य चाणक्य ने मानव शरीर के बारे में एक बात अपनी नीति के माध्यम से कही है। आइये जानते हैं ऐसा क्या बताया है आचार्य चाणक्य ने।
Image Source : File Image आचार्य चाणक्य की नीतियों को कौन नहीं जानता आज भी उनकी नितियां मानव जीवन की सफलता की कूंजी है।
Image Source : File Image अपनी एक नीती में आचार्य चाणक्य बताते हैं कि मानव शरीर मिलना कितना दुर्लभ है।
Image Source : File Image मानव शरीर पर उनकी नीति इस प्रकार - पुनर्वित्तं पुनर्मित्रं पुनर्भार्या पुनर्मही। एतत्सर्वं पुनर्लभ्यं न शरीरं पुनः पुनः॥
Image Source : File Image नष्ट हुआ धन, टूटी हुई मित्रता, दूसरा विवाह, जमीन-जायदाद और राज सत्ता का सुख ये सब एक बार हाथ से निकल जाए तो फिर से मिल सकता है।
Image Source : File Image इन सबको मनुष्य फिर से अपने जीवन काल में प्राप्त कर सकता है। लेकिन मानव शरीर पाना इतना आसान नहीं है।
Image Source : File Image आगे आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मानव शरीर पाने के बाद पाप कर्म न करें और मोक्ष प्राप्ति की कामना करते हुए संत पुरुषों का सत्संग करें।
Image Source : File Image मानव शरीर परमात्मा की कृपा से प्राप्त होता है। इसका दुर्उपयोग न करें।
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