मंथली सैलरी पाने वाला हर शख्स अपनी कमाई का एक निश्चित हिस्सा प्रोफेशनल टैक्स के रूप में संबंधित राज्य सरकारों को भुगतान करने के लिए उत्तरदायी है। हालांकि कुछ राज्य में यह टैक्स लागू नहीं भी है।
Image Source : FILE इस टैक्स को पी टैक्स भी कहा जाता है। यह किसी व्यक्ति की सैलरी स्लिप में भी दिखाई देता है। एक नियोक्ता पारिश्रमिक देने से पहले कर्मचारी की मासिक आय से सीधे इस टैक्स राशि को काट लेता है।
Image Source : FILE दिल्ली, यूपी, हरियाणा, पंजाब, गोवा, हिमाचल,चंडीगढ़, राजस्थान, अरुणाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर सहित कुछ अन्य राज्यों में प्रोफेशनल टैक्स लागू नहीं है।
Image Source : FILE एक महीने के लिए प्रोफेशनल टैक्स 2500 रुपये से ज्यादा नहीं हो सकता। इस टैक्स (Professional tax) को वसूलने की जिम्मेदारी वाणिज्य कर विभाग की है।
Image Source : FILE टैक्स (Professional tax) की दरें राज्य सरकारें तय करती हैं। ऐसे में यह अलग-अलग राज्यों में भिन्न हो सकते हैं।
Image Source : FILE स्व-रोज़गार वाले व्यक्तियों, जैसे चार्टर्ड अकाउंटेंट, डॉक्टर, वकील और दूसरे को भी प्रोफेशनल टैक्स वहन करना होता है।
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