देश में पेमेंट सेगमेंट को रेग्युलेट करने के लिए 2020 में पेमेंट एग्रीगेटर फ्रेमवर्क लाया गया था।
Image Source : File इसके हिसाब से जिन पेमेंट एग्रीगेटर को आरबीआई से ऑपरेट करने की अनुमति मिली है, वही पेमेंट सर्विस चला सकते हैं।
Image Source : File इसे लाने का मकसद ये है कि उन ऐप्स पर RBI सीधे निगरानी करता है।
Image Source : File इस पूरी कवायद का पूरा मकसद पेमेंट इकोसिस्टम को ज्यादा रेग्युलेटेड और स्टैंडर्डाइजेशन बनाना है।
Image Source : File आरबीआई ने कुल 32 अलग-अलग प्लेटफॉर्म को इसके लिए मंजूरी दे दी है।
Image Source : File इस लिस्ट में Razorpay, Reliance, Google, Cred और PhonePe जैसी कंपनियां शामिल हैं।
Image Source : File Freecharge, Paytm और PayU जैसी कंपनियों के आवेदन को आरबीआई ने रिजेक्ट कर दिया है।
Image Source : File आवेदन रिजेक्ट होने का एक कारण पूर्व में क्रिप्टोकरेंसी के लेनदेन या गेमिंग ऐप्स से जुड़े रहना भी बताया जा रहा है।
Image Source : File इस लाइसेंस के लिए कंपनी का नेटवर्थ 31 मार्च 2021 तक 15 करोड़ रुपये और 31 मार्च 2023 तक 25 करोड़ रुपये होनी चाहिए थे।
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