शेयर बाजार में निवेशक 10 गुना ही नहीं, 100 गुना रिटर्न भी पा सकते हैं। हालांकि, इसमें काफी लंबा समय लगता है। बीएसई सेंसेक्स जो 1979 में 100 रुपये के बेस के साथ शुरू हुआ था, वह फरवरी 2006 में 10,000 अंक का आंकड़ा छूकर पहली बार 100-बैगर बना था।
Image Source : pixabay दर्जनों ऐसी कंपनियां हैं, जिन्होंने 100 बैगर रिटर्न दिया है। इंफोसिस, टाइटन, एचडीएफसी बैंक और एशियन पेंट्स जैसे शेयर भी इनमें शामिल हैं।
Image Source : pixabay वह कंपनी जो लगातार ग्रो कर रही हो। जिसके रेवेन्यू में वृद्धि हो रही हो। जिसकी कमाई बढ़ रही हो। जिसका मार्जिन बढ़ रहा हो। जिसकी बाजार हिस्सेदारी बढ़ रही हो। प्रति शेयर कमाई बढ़ रही हो। वह मल्टीबैगर रिटर्न दे सकती है।
Image Source : pixabay उस कंपनी का प्राइस अर्निंग मल्टीपल बढ़ता हुआ होना चाहिए। उन कंपनियों और सेक्टर्स की तलाश करें, जिनके पीई मल्टीपल के ऊपर की ओर जाने की संभावना है।
Image Source : pixabay बड़ी कंपनियों की तुलना में छोटी कंपनियों के लिए 100-बैगर बनना आसान होता है। किसी 2% बाजार हिस्सेदारी वाली कंपनी को अपनी बाजार हिस्सेदारी को दोगुना, तिगुना करना बहुत आसान होगा, लेकिन 30% मार्केट शेयर वाली कंपनी के लिये यह मुश्किल होगा।
Image Source : file क्रिस्टोफर मेयर के एक रिसर्च में निष्कर्ष निकला कि एक कंपनी को 100-बैगर कंपनी बनने में औसतन 26 साल लगते हैं। इस अवधि में काफी उतार-चढ़ाव भी आते हैं। इसलिए धैर्य रखना जरूरी है।
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