FD की ये 6 स्ट्रैटेजी दिमाग में कर लें नोट, सरपट भागेगा निवेश पर रिटर्न

FD की ये 6 स्ट्रैटेजी दिमाग में कर लें नोट, सरपट भागेगा निवेश पर रिटर्न

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भारत में बैंक एफडी के मुकाबले कॉरपोरेट एफडी एक नया कॉन्सेप्ट है। कॉर्पोरेट एफडी की ब्याज दरें बैंक एफडी के मुकाबले 1-4% अधिक हैं। ये एनबीएफसी या दूसरी वित्तीय निगमों द्वारा पेश किए जाते हैं जिनके पास FD जारी करने का अधिकार है।

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रेटिंग एजेंसी क्रिसिल और आईसीआरए द्वारा जारी क्रेडिट रेटिंग, एफडी की विश्वसनीयता का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। रेटिंग जितनी ज्यादा होगी, उस सावधि जमा में निवेश करना उतना ही सुरक्षित होगा।

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नए निवेशक अक्सर कंपाउंडिंग की ताकत से अनजान होते हैं। वैसे समय-समय पर ब्याज से कमाई आकर्षक लग सकता है, लेकिन मेच्योरिटी पर उन्हें पाना यह सुनिश्चित करता है कि आपकी बचत और ब्याज चक्रवृद्धि जारी रहे।

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अपनी फिक्स्ड डिपोजिट यानी एफडी को समय से पहले तोड़ने या खत्म करने से बचें, इसके बजाय लोन पर विचार करें।

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निवेश की अवधि के बारे में सावधानी से सोचें। कई बैंक या वित्तीय संस्थान लंबी अवधि के लिए ज्यादा ब्याज दरों की पेशकश करते हैं क्योंकि वे लंबे समय तक पैसे का इस्तेमाल करने में सक्षम होते हैं। ऐसे में लंबी अवधि का विकल्प चुनना एक स्मार्ट स्ट्रैटेजी हो सकती है।

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एफडी के लिए लैडरिंग स्ट्रैटेजी का इस्तेमाल कर सकते हैं, जिससे आपको हाई रिटर्न मिल सकता है। बढ़ती ब्याज दरों का लाभ उठा सकते हैं और रेगुलर लिक्विडिटी तक पहुंच हासिल कर सकते हैं। वित्तीय संस्थानों द्वारा एफडी की ब्याज दरें धीरे-धीरे बढ़ाई जा रही हैं।

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