एग्जाम में 33% पासिंग मार्क का सिस्टम सबसे पहले कब और किसने शुरू किया?

एग्जाम में 33% पासिंग मार्क का सिस्टम सबसे पहले कब और किसने शुरू किया?

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देश के सभी बोर्ड अपने-अपने रिजल्ट जारी कर रहे हैं। ऐसे में बहुत सारे बोर्ड्स का पैरामीटर है कि एग्जाम में पास होने के लिए छात्र को 33 फीसदी नंबर लाने ही होंगे।

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हमने और आपने भी इस 33 फीसदी वाले नियम के बारे जरूर सुना होगा, पर क्या ये जानते हैं कि ये कब और किसने शुरू किया था?

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आइए जानते हैं इसका जवाब....

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आपको तो पता ही है कि हमारा देश 1947 में आजाद हुआ उससे पहले हम पर ब्रिटिश राज करते थे।

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अंग्रेज 24 अगस्त 1608 में भारत आए और उसके बाद 1757 से बड़े चालाकी से हम पर राज करने लगे।

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इसके बाद जब उन्हें लोगों की कमी का एहसास हुआ तो 1858 में अंग्रेजों ने पहली मैट्रिक परीक्षा आयोजित की।

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इसी परीक्षा में यह तय किया गया कि जो भारतीय 33 फीसदी नंबर लाएगा वह मैट्रिक परीक्षा में पास माना जाएगा।

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पर दिलचस्प बात तो ये है कि उस समय ब्रिटेन में न्यूनतम 65 फीसदी नंबर पाने वाला ही पास होता था।

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इसका कारण है अंग्रेज भारतीयों को कम बुद्धिमान मानते थे, वो अलग बात है कि हम पूरी दुनिया में अपने दिमाग का लोहा मनवा चुके हैं।

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