चुनाव में जमानत जब्त होने के क्या होते हैं मतलब?

चुनाव में जमानत जब्त होने के क्या होते हैं मतलब?

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आज कर्नाटक विधानसभा व यूपी निकाय चुनाव के नतीजे का दिन है। कांग्रेस को कर्नाटक में पूर्ण बहुमत मिलता दिख रहा है।

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ऐसे में कई प्रत्याशियों के "जमानत भी जब्त" होंगे, लेकिन क्या आपको इसका मतलब पता है?

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ये राशि हर चुनाव में अलग-अलग होती है, अगर किसी भी प्रत्याशी को तय वोट नहीं मिलता तो उसकी जमानत राशि जब्त हो जाती है।

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लोकसभा चुनाव के लिए सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को 25 हजार रुपये की जमानत राशि जमा करानी होती है। वहीं, एससी और एसटी वर्ग के उम्मीदवारों के लिए ये रकम 12,500 रुपये होती है।

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विधानसभा चुनाव में सामान्य वर्ग के उम्मीदवार के लिए जमानत राशि की रकम 10 हजार रुपये होती है, जबकि एससी और एसटी वर्ग के उम्मीदवारों को 5 हजार रुपये जमा कराने होते हैं।

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राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए सभी वर्गों के लिए जमानत राशि की रकम एक ही होती है। राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए उम्मीदवार को 15 हजार रुपये जमा कराने होते हैं।

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आइए जानें क्यों हो जाती है जमानत जब्त? चुनाव आयोग के मुताबिक, जब किसी भी उम्मीदवार को सीट पर पड़े कुल वोटों का 1/6 यानी 16.66% वोट नहीं मिलता तो उसकी जमानत जब्त हो जाती है।

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