भारत में 500 साल पहले नहीं मिलता था टमाटर, जानें हमारे देश कैसे पहुंचा ये 'विलायती बैंगन'

भारत में 500 साल पहले नहीं मिलता था टमाटर, जानें हमारे देश कैसे पहुंचा ये 'विलायती बैंगन'

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आजकल भारत में टमाटर को लेकर हाहाकार मचा हुआ है। इसकी बढ़ी हुई कीमतों ने आम आदमी की नाक में दम कर दिया है।

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आज टमाटर हमारी तमाम सब्जियों और सलाद का जायका बढ़ाने के काम आता है। लेकिन क्या आपको पता है हमारे पूर्वजों को इसका स्वाद नसीब ही नहीं था।

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दरअसल, भारत में टमाटर को आए 500 साल भी नहीं हुए हैं। ऐसे में 500 साल पहले के राजा-महाराजाओं ने भी कभी टमाटर का स्वाद न चखा था।

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आप भारत तो भूल ही जाइए, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका या यूरोप के लोगों ने भी लगभग 500 साल पहले तक टमाटर की शक्ल भी नहीं देखी थी।

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दरअसल, उस समय टमाटर सिर्फ अमेरिका महाद्वीप में हुआ करता था। इसी महाद्वीप के लोगों से सबसे पहले टमाटर का स्वाद चखा था।

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ऐसे में जब यूरोपीय यात्री कोलंबस ने 1492 में अमेरिका की खोज की, उसके बाद ही धीरे-धीरे दुनिया को टमाटर के बारे में पता चला।

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पहली बार स्पेन के लोगों को एज्टेक लोगों से 16वीं सदी में टमाटर मिला था, और फिर धीरे-धीरे यह पूरी दुनिया में फैलता गया।

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भारत में टमाटर को लाने का श्रेय पुर्तगाली व्यापारियों को जाता है। यही वजह है कि इसे आज भी बंगाल के कुछ हिस्सों में 'विलायती बैंगन' कहा जाता है।

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भारत की धरती टमाटर को खूब रास आई और 18वीं सदी तक यहां इसकी बड़े पैमाने पर खेती होने लगी।

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आज तो हालत यह है कि भारत टमाटर के उत्पादन के मामले में चीन के बाद दुनिया में दूसरे नंबर पर आता है।

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भले ही हमारे पुरखों ने कभी टमाटर का स्वाद न चखा हो, लेकिन आज यह हमारी रसोई और थाली का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।

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