दिल्ली के इस महल को कहा जाता है 'नमक हराम की हवेली'

दिल्ली के इस महल को कहा जाता है 'नमक हराम की हवेली'

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दिल्ली के बीचों-बीच एक ऐसी भी हवेली मौजूद है जिसे गद्दारी का प्रतीक कहा जाता है

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इसकी कहानी 19वीं सदी से जुड़ी है, जब देश में अंग्रेजी हुकूमत का बोलबाला था

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लेकिन इंदौर के महाराजा यशवंतराव होलकर ने अंग्रेजों से लोहा लेने की ठानी

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होलकर ने दिल्ली के पटपड़गंज इलाके में 1803 में अंग्रेजों से भयंकर लड़ाई भी लड़ी

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लेकिन उन्हीं के वफादार भवानीशंकर ने गद्दारी की और अंग्रेजों का साथ दे दिया

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भवानीशंकर ने होलकर की सभी खूफिया जानकारियां अंग्रेजों को दे दी

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लड़ाई में होलकर की हार हुई और अंग्रेजों ने भवानीशंकर को तोहफे में ये हवेली दे दी

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भवानीशंकर इस हवाले में रहने तो लगा, लेकिन यहां से गुजरने वाले लोग इसे 'नमक हराम की हवेली' कहने लगे

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