हमारे और आपके Parle-G की कहानी है दिलचस्प

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पारले जी कंपनी की शुरुआत 1929 में मोहनलाल दयाल चौहान ने की। पहले इसका नाम House of Parle था।

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शुरुआती दौर में इस काम में 12 परिवारों के लोग थे। धीरे-धीरे कर बिस्कुट का व्यापार बढ़ने लगा और इसका नाम पारले रखा गया।

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पारले ने फैसला किया कि वो ऐसा बिस्कुट बनाएगी, जिसे आम आदमी भी खरीद सकें।

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इस कारण 1938 में पारले ग्लूकोज बिस्किट का उत्पादन शुरू हुा। सस्ता होने के कारण बाजा में पारले ने पकड़ बना ली।

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इस बिस्कुट के साथ एक राष्ट्रवादी विचारधारा भी थी कि देश में पहली बार यह बनाया गया है।

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पारले केवल कंपनी नहीं बल्कि देश की भी निशानी बन गई है।

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