13 जनवरी से प्रयागराज महाकुंभ की शुरुआत हो रही है। इस अवसर बड़ी संख्या में साधु-संत यहां पहुंच रहे हैं।
Image Source : pti महाकुंभ में बड़ी संख्या में नागा साधु भी पहुंच रहे हैं। ये लोग कठिन नियमों का पालन करते हैं जो आम लोगों की सोच से परे है।
Image Source : pti नागा साधुओं का गृहस्थ जीवन से कोई वास्ता नहीं होता। हालांकि इनका जीवन गृहस्थ से कई गुना कठिन होता है।
Image Source : pti ये साधु डमरू, त्रिशूल, रूद्राक्ष, तलवार, शंख, कमंडल, चिमटा, चिलम, भभूत इत्यादि रखते हैं।
Image Source : pti नागा साधु सुबह चार बजे उठ कर नित्य कर्म करते हैं। इसके बाद स्नान, श्रृंगार, हवन, प्राणायाम, कपाल इत्यादि करते हैं।
Image Source : pti नागा साधु दिन में सिर्फ एक बार शाम को भोजन करते हैं। दिन में ये कुछ भी नहीं खाते। भगवान शिव को सर्वोपरि मानते हैं।
Image Source : pti ये साधु नागा अखाड़े आश्रम और मंदिरों में रहते हैं। कुछ संत हिमालय या पहाड़ों पर जाकर तप करते हैं और वहीं निवास भी करते हैं।
Image Source : pti नागा साधु कभी भी कपड़े नहीं पहनते हैं। ये लोग नग्न ही रहते हैं। चाहे कड़ाके की सर्दी हो या गर्मी। ये कभी भी कपड़े नहीं पहनते।
Image Source : pti नागा साधु कभी भी बिस्तर पर नहीं सोते। इनका कोई घर नहीं होता। ये नागा साधुओं को ही अपना परिवार मानते हैं।
Image Source : pti नागा साधु अपने शरीर पर भस्म लगाकर घूमते हैं। ये साधु किसी वाहन का इस्तेमाल नहीं करते। ये सिर्फ पैदल ही चलते हैं।
Image Source : pti नागा बनने के लिए ब्रह्मचर्य की शिक्षा लेनी होती है। नागा बनने की प्रक्रिया में 6 साल महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान लंगोट पहनते हैं। कुंभ में आकर इसे भी त्याग देते हैं।
Image Source : pti नागा बनने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ये 17 पिंडदान करते हैं। 16वां पिंडदान परिवार का और 17वां खुद का होता है। इससे पहले के जीवन को ये पूर्व जन्म मानते हैं।
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